Govardhan Puja: कब है गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त, जानिए पूजन विधि
दिवाली की वजह से इस बार गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) भारत के प्रमुख त्योहारों (Festivals) में से एक है जो दीपावली (Diwali) के अगले दिन मनाया जाता है। इसे अन्नकूट पूजा (Annakoot Puja) भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। इस दिन प्रकृति की पूजा की जाती है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पांच दिन के दीपावली महापर्व में चौथे दिन गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की जाती है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने का विधान है। इस तिथि को अन्नकूट के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन घरों में अन्नकूट का भोग बनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा
गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को ब्रज में पहले देवराज इंद्र की पूजा हुआ करती थी लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा।
भगवान कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा अर्चना करने लगे, जब यह जानकारी देवराज इंद्र को मिली तो उन्होंने अपने घमंड में आकर पूरे ब्रज में तूफान और बारिश से कहर बरपा दिया। धीरे धीरे हर चीज जलमग्न हो रही थी।
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तब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी। माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था। तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवबंर यानी आज शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 2 नवंबर यानी कल रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस बार गोवर्धन और अन्नकूट का त्योहार 2 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा का भोग
गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाया जाता है और उसी का भोग लगाया जाता है। अन्नकूट के साथ भगवान कृष्ण के लिए 56 भोग का प्रसाद भी बनाया जाता है। इसके साथ ही गाय और बैलों का पूजन भी किया जाता है और गोबर से गोवर्धन भगवान बनाकर उनकी पूजा की जाती है।
गोवर्धन पूजन विधि
इस दिन सबसे पहले शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करें। इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। साथ ही उस पर्वत को घेरकर आसपास ग्वालपाल, पेड़ और पौधों की आकृति बनाएं। उसके बाद गोवर्धन के पर्वत के बीचोंबीच भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर लगाएं। इसके बाद गोवर्धन पर्वत और भगवान कृष्ण की पूजा करें।
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पूजन करने के बाद अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें। इसके बाद भगवान कृष्ण को पंचामृत और पकवान का भोग लगाएं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो लोग गोवर्धन पर्वत की प्रार्थना करते हैं, उन लोगों की संतान से संबंधित समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
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