

गोरखपुर जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर खजनी थाना क्षेत्र के भीटी खोरिया गांव में स्थित प्राचीन झारखंडी शिव मंदिर में एक अलौकिक घटना ने श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित कर दिया है।पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर खजनी थाना क्षेत्र के भीटी खोरिया में स्थित प्राचीन झारखंडी शिव मंदिर में एक अलौकिक घटना ने श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित कर दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा था, लेकिन इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। मंदिर के शिवलिंग में अचानक भगवान शिव की आकृति उभर आई, साथ ही पास के बट वृक्ष पर भगवान गणेश की आकृति भी प्रकट हो गई। यह चमत्कार देखकर न केवल स्थानीय लोग बल्कि दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी स्तब्ध हैं।
शिवलिंग में बदलाव और खुदाई का रहस्य
मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि कथा के दौरान शिवलिंग का कुछ हिस्सा नीचे धंस गया था। इसे ठीक करने के लिए खुदाई शुरू की गई और शिवलिंग पर चांदी की परत चढ़ाने की योजना बनाई गई। लेकिन अगली सुबह जब लोग मंदिर पहुंचे, तो शिवलिंग पर भगवान शिव की स्पष्ट आकृति देखकर सभी अवाक रह गए। इतना ही नहीं, पास के बट वृक्ष पर भगवान गणेश की आकृति भी उभर आई। यह खबर जंगल की आग की तरह फैली और देखते ही देखते मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान
स्थानीय निवासी दिग्विजय पांडेय और रत्नेश पांडेय, आचार्य सौरभ कृष्ण शास्त्री तेज नारायण पांडेय आदि सहित तमाम प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने एक कहानी सुनाई थी। कई वर्ष पहले मंदिर में खुदाई के दौरान शिवलिंग पर कुदाल लग गई थी, जिससे खून की धारा बहने लगी थी। उस समय लोग इसे चमत्कार मानते थे, लेकिन आज की पीढ़ी को इस पर विश्वास नहीं था। लेकिन अब शिवलिंग और बट वृक्ष पर हुए इस अलौकिक परिवर्तन ने सभी को चकित कर दिया है। दिग्विजय पांडेय ने कहा, "यह भगवान शिव का चमत्कार है। हमारी आंखों के सामने यह दृश्य देखकर विश्वास और गहरा हो गया है।
"श्रद्धालुओं में उत्साह, शुरू हुआ कीर्तन और आरती
इस चमत्कार की खबर फैलते ही मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया। लोग दूर-दूर से दर्शन करने पहुंच रहे हैं। मंदिर परिसर में भक्ति का माहौल है, जहां आरती, भजन और कीर्तन का दौर शुरू हो चुका है। श्रद्धालु इसे भगवान शिव और गणेश की कृपा का प्रतीक मान रहे हैं। मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने और दर्शन व्यवस्था को सुचारू करने के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।
प्राचीन है झारखंडी मंदिर की महिमा
भीटी खोरिया गांव में स्थित झारखंडी शिव मंदिर की प्राचीनता और चमत्कारों की कहानियां पहले भी चर्चा में रही हैं। मान्यता है कि यह स्वयंभू शिवलिंग है, जो सैकड़ों वर्षों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है। सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। मंदिर के पास स्थित पीपल का पेड़ भी पौराणिक महत्व रखता है, जिसे कई लोग शेषनाग की आकृति से जोड़ते हैं।
क्या कहते हैं पुजारी?
मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह घटना भगवान शिव की महिमा का जीवंत प्रमाण है। उन्होंने कहा, "शिवलिंग पर कुल्हाड़ी के निशान आज भी मौजूद हैं, जो इसकी प्राचीनता और चमत्कार को दर्शाते हैं। अब भगवान शिव और गणेश की आकृति का उभरना यह साबित करता है कि यह स्थान दिव्य शक्ति का केंद्र है।
आस्था का सैलाब
इस अलौकिक दृश्य ने सहजूपार के झारखंडी शिव मंदिर को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है। श्रद्धालु इसे भगवान की लीला मानकर दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं। मंदिर में भक्ति और उत्साह का माहौल है, और लोग इस चमत्कार को अपने जीवन का सौभाग्य मान रहे हैं। प्रशासन ने भी बढ़ती भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए हैं।यह चमत्कार न केवल गोरखपुर बल्कि पूरे पूर्वांचल में चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह भगवान शिव की कृपा है या प्रकृति का कोई अनोखा खेल? यह सवाल हर किसी के मन में है, लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास और भक्ति इस अलौकिक दृश्य के सामने और गहरा हो गया है।