जामिया की पूर्व कुलपति नजमा ने सरकारी बंगला खाली करने के लिए मांगा समय, जानिए पूरी खबर

डीएन ब्यूरो

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व कुलपति नजमा अख्तर ने सरकारी बंगला खाली करने के लिए समय मांगा है और कहा है कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए समय चाहिए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व कुलपति नजमा अख्तर
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व कुलपति नजमा अख्तर


नयी दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पूर्व कुलपति नजमा अख्तर ने सरकारी बंगला खाली करने के लिए समय मांगा है और कहा है कि उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए समय चाहिए। विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

अख्तर का अनुरोध रजिस्ट्रार कार्यालय में एक महीने से अधिक समय से लंबित है, जिस पर विश्वविद्यालय ने अभी तक जवाब नहीं दिया है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार नाम गुप्त रखने की शर्त पर अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रोफेसर नजमा ने विश्वविद्यालय प्रशासन को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि जब तक वह वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर लेतीं, तब तक कुलपति सरकारी बंगले में उनके रहने की अवधि बढ़ा दी जाए।'

केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार, किसी कर्मचारी को कार्यकाल समाप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर आधिकारिक आवास खाली करना होता है। अख्तर का कार्यकाल पिछले साल 12 नवंबर को खत्म हो गया था।

पूछे जाने पर अख्तर ने कहा कि उन्हें विश्वविद्यालय से बंगला खाली करने के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। अख्तर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, 'मैंने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही विश्वविद्यालय को बंगले में रहने का समय बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था। मुझे आज तक, पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है।'

अख्तर ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक उनकी 9 लाख रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है (इसमें वेतन के रूप में बकाया 1 लाख रुपये और अर्जित छुट्टियों के लिए 8 लाख रुपये शामिल हैं)।

उन्होंने कहा, 'जामिया ने बिना कारण बताये मेरी 9 लाख रुपये तक की बकाया राशि रोक ली है। जामिया के इतिहास में किसी निवर्तमान कुलपति के साथ कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं किया गया।'










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