ई-सिगरेट, ई-हुक्का पर पूर्ण प्रतिबंध का फैसला, अध्यादेश लायेगी सरकार
सरकार ने ई-सिगरेट और ई-हुक्का पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है और इसके लिए वह जल्द अध्यादेश लायेगी।
नई दिल्ली: सरकार ने ई-सिगरेट और ई-हुक्का पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है और इसके लिए वह जल्द अध्यादेश लायेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को यहाँ हुई बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्यात, आयात, बिक्री, परिवहन, भंडारण और विज्ञापन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश लाया जायेगा। उन्होंने बताया कि संसद के अगले सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जायेगा।
निर्मला सीतारमण ने बताया कि देश में ई-सिगरेट का विनिर्माण नहीं होता है और यहाँ बिकने वाली सभी ई-सिगरेट आयात की जाती है। इस समय देश में 150 से ज्यादा ‘फ्लेवर’ में 400 से ज्यादा ब्रांड के ई-सिगरेट बिक रहे हैं। ये गंधरहित होते हैं और इसलिए ‘पैसिव स्मोकर’ को पता भी नहीं चलता और उसके शरीर में भी भारी मात्रा में निकोटीन पहुँचता रहता है।
Finance Minister Nirmala Sitharaman: The Union Cabinet has given approval to ban e-cigarettes. It means the production, manufacturing, import/export, transport, sale, distribution, storage and advertising related to e-cigarettes are banned. pic.twitter.com/qayCrQHPZp
— ANI (@ANI) September 18, 2019
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ई-सिगरेट और ई-हुक्का से जुड़े नियमों का पहली बार उल्लंघन करने पर एक साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा। अपराध दुहराने पर तीन साल तक की सजा और पाँच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया जायेगा। सिर्फ भंडारण संज्ञेय अपराध नहीं होगा, ई-सिगरेट से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियाँ संज्ञेय अपराध होंगी।
निर्मला सीतारमण ने आँकड़े देते हुये बताया कि अमेरिका में ई-सिगरेट के प्रत्यक्ष प्रभाव से सात लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। वहाँ स्कूली छात्रों में इसकी लत 77.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों में भी इसकी लत 48.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि युवा वर्ग इसे ‘कूल’ मानता है और इसलिए इसकी जद में जल्दी आ जाता है। आरंभ में इसका प्रचार यह कहकर किया जाता था कि यह सिगरेट की आदत छोड़ने में मदद करता है, लेकिन यह देखा गया है कि लोग सिगरेट साथ ही ई-सिगरेट भी पीते हैं।
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इस सवाल पर कि सिगरेट को प्रतिबंधित करने की बजाय ई-सिगरेट को क्यों प्रतिबंधित किया जा रहा है जबकि पारंपरिक सिगरेट से स्वास्थ्य को ज्यादा नुकसान होता है, प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सवाल कम या ज्यादा नुकसान का नहीं है। लोगों में एक नयी लत पड़ रही है जिसे समय पर रोकना जरूरी है। युवाओं के स्वास्थ्य को लेकर जोखिम नहीं लिया जा सकता। (वार्ता)