महराजगंज के इतिहास में दूसरी बार फांसी की सजा, 10 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में दोषी को फांसी पर लटकाने का आदेश

डीएन ब्यूरो

यूपी के महराजगंज जनपद में 10 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में दोषी को अदालत ने फांसी की कठोर सजा सुनाई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अदालत ने सुनाई फांसी की सजा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अदालत ने सुनाई फांसी की सजा (प्रतीकात्मक तस्वीर)


महराजगंज: जनपद के थाना पुरंदरपुर क्षेत्र में लगभग 10 साल पहले हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में अदालत ने फैसला सुना दिया है। जमीन की रंजिश को लेकर हुई दो लोगों की हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत फैसला सुनाते हुए दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। महराजगंज जनपद के इतिहास में यह दूसरी मर्तबा है, जब किसी अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई गई। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पुरंदरपुर क्षेत्र के ग्राम सभा मानिक तलाव, टोला चांदीपुर में वर्ष 2014 में जमीन की पुरानी रंजिश को लेकर दिनदहाड़े दो लोगों की धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई थी। दोहरे हत्याकांड में अदालत ने 38 वर्षीय बैजू उर्फ बैजनाथ को दोषी करार दिया। अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) के अदालत ने अभियुक्त बैजनाथ को तब तक फांसी पर लटकाए जाने का आदेश सुनाया, जब तक उसकी मृत्यु ना हो जाए। 

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जानकारी के अनुसार वादी मुकदमा राजेंद्र चौधरी पुत्र स्वर्गीय पल्लू चौधरी निवासी मानिक तलाव, टोला चांदीपुर ने दिनांक 2 अप्रैल 2014 को थाना पुरंदरपुर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उसका अपने चचेरे भाई बैजू उर्फ बैजनाथ के पिता यमुना चौधरी से जमीनी विवाद था, लेकिन विवाद हल हो गया था। 

पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में कहा गया कि जब बैजू बड़ा हुआ तो उसी पुरानी जमीनी रंजिश को लेकर वह शिकायतकर्ता से दुश्मनी रखने लगा और उसी पुरानी रंजिश को लेकर बैजू ने 2 अप्रैल 2014 को शिकायतकर्ता की पुत्री कुमारी ज्ञानती व बड़े भाई निर्मल चौधरी को गांव में दौड़ा दौड़ा कर धारदार हथियार से हत्या कर दिया। 

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11 गवाहों और 22 दस्तावेज

इस दोहरे हत्याकांड को लेकर थाना पुरंदरपुर में मुकदमा अपराध संख्या 383 / 2014 के तहत रिपोर्ट दर्ज की गई। पुलिस द्वारा द्वारा विवेचना के पश्चात न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया। मामले में दोषी के खिलाफ 11 गवाहों एवं 22 दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में पेश कर कठोर सजा की मांग की गई। न्यायालय ने उपलब्ध साक्ष्य एवं सबूतों के आधार पर बैजू को हत्या का दोषी करार दिया औऱ फांसी की सजा सुनाई।

पहली फांसी 2006 में

महाराजगंज जनपद के इतिहास में फांसी की सजा दूसरी बार सुनाई गई है, पहली बार वर्ष 2006 में अपर सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव ने फांसी की सजा सुनाई थी।










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