चालू खाता घाटा तीसरी तिमाही में घटकर जीडीपी का 2.2 प्रतिशत रहा: आरबीआई

भारत का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही में घटकर 18.2 अरब अमेरिकी डॉलर यानी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत रह गया। चालू खाता घाटा मुख्य रूप से वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर देश की स्थिति को बताता है।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 31 March 2023, 7:05 PM IST
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मुंबई: भारत का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही में घटकर 18.2 अरब अमेरिकी डॉलर यानी जीडीपी का 2.2 प्रतिशत रह गया। चालू खाता घाटा मुख्य रूप से वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर देश की स्थिति को बताता है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कहा कि मुख्य रूप से वस्तु व्यापार घाटे में कमी के चलते यह गिरावट हुई।

चालू खाता घाटा (कैड) 2022-23 की दूसरी तिमाही में 30.9 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 3.7 प्रतिशत था। दूसरी ओर 2021-22 की दिसंबर तिमाही में यह 22.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.7 प्रतिशत था।

आरबीआई ने कहा, ''2022-23 की तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटा कम होने की प्रमुख वजह वस्तु व्यापार घाटा में कमी है, जो 2022-23 की दूसरी तिमाही में 78.3 अरब डॉलर से घटकर 72.7 अरब डॉलर रह गया। इसके अलावा मजबूत सेवाओं और निजी हस्तांतरण प्राप्तियों से भी समर्थन मिला।''

सॉफ्टवेयर, व्यापार और यात्रा सेवाओं के बढ़ते निर्यात के कारण सेवा निर्यात में सालाना आधार पर 24.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। शुद्ध रूप से सेवा प्राप्तियों में वृद्धि हुई।

दिसंबर तिमाही में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश घटकर 2.1 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 4.6 अरब डॉलर था।

वित्त वर्ष 2022-23 की दिसंबर तिमाही में शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश 4.6 अरब डॉलर रहा, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.8 अरब डॉलर की शुद्ध निकासी हुई थी।

आरबीआई ने कहा कि प्राथमिक आय खाते से शुद्ध व्यय सालाना आधार पर 11.5 अरब डॉलर से बढ़कर 12.7 अरब डॉलर हो गया।

निजी हस्तांतरण प्राप्तियां दिसंबर तिमाही में 30.8 अरब डॉलर रहीं, जो सालाना आधार पर 31.7 प्रतिशत अधिक हैं। इसमें मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजा जाने वाला धन शामिल है।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसंबर 2022 के दौरान चालू खाता घाटा जीडीपी के मुकाबले 2.7 प्रतिशत रहा। इससे एक साल पहले अप्रैल दिसंबर 2021 के दौरान यह आंकड़ा 1.1 प्रतिशत था।

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