अदालत ने कंपनी को मोबाइल टावर लगाने से रोकने के ग्राम पंचायत के निर्देश को किया खारिज

डीएन ब्यूरो

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण के हानिकारक होने, या उससे कैंसर हो सकने की बात साबित करने वाला कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं रहने के चलते इस तरह के टावर पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है।

मोबाइल टावर (फाइल)
मोबाइल टावर (फाइल)


मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण के हानिकारक होने, या उससे कैंसर हो सकने की बात साबित करने वाला कोई वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं रहने के चलते इस तरह के टावर पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है।

अदालत ने पुणे की एक कंपनी को मोबाइल टावर लगाने से रोकने का निर्देश देते हुए एक ग्राम पंचायत द्वारा पारित प्रस्ताव को खारिज करते हुए यह कहा।

न्यायमूर्ति एस. बी. शुक्रे और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंड पीठ ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में पुणे की कंपनी इंडस टावर को सांगली जिले के खानपुर तालुका के चिखालहोल में मोबाइल टावर लगाने की अनुमति दे दी।

कंपनी ने चिखालहोल ग्राम पंचायत द्वारा जुलाई 2022 में पारित प्रस्ताव को चुनौती दी थी।

ग्राम पंचायत ने अपने प्रस्ताव में कंपनी को मोबाइल टावर लगाने का काम रोकने का निर्देश दिया था क्योंकि कुछ ग्रामीणों ने शिकायत दी थी कि टावर से निकलने वाले विकिरण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और इनसे कैंसर होने की भी आशंका है।

 










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