सीएम योगी का बड़ा दावा, कहा- पिछले छह सालों में यूपी में एक भी किसान ने नहीं की खुदकुशी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को दावा किया कि उनकी सरकार ने गन्ना किसानों को दलालों के चंगुल से छुटकारा दिलाया है और पिछले छह सालों के उनके शासन में प्रदेश में एक भी किसान ने खुदकुशी नहीं की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को दावा किया कि उनकी सरकार ने गन्ना किसानों को दलालों के चंगुल से छुटकारा दिलाया है और पिछले छह सालों के उनके शासन में प्रदेश में एक भी किसान ने खुदकुशी नहीं की है।
मुख्यमंत्री ने होली से पहले गन्ना किसानों के बैंक खाते में विभिन्न मदों में दो लाख करोड़ रुपये अंतरित किये जाने के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा, ''पिछली सरकारों के समय में किसान आत्महत्या करता था। आज मैं कह सकता हूं कि पिछले छह वर्ष के अंदर उत्तर प्रदेश में किसी भी अन्नदाता किसान को आत्महत्या करने की नौबत नहीं आयी है। हमने उसके गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। समय पर धान और गेहूं की खरीद की है।''
उन्होंने कहा ''जरा याद कीजिए वो समय जब प्रदेश के गन्ना किसान खेतों में ही अपनी फसल को जलाने के लिए मजबूर था। उसे ना समय से सिंचाई के लिए पानी मिलता था ना बिजली उपलब्ध कराई जाती थी और तो और समय से उनकी बकाया धनराशि का भुगतान भी नहीं किया जाता था।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आज का दिन गन्ना किसानों के लिए ऐतिहासिक होने जा रहा है, जब होली की पूर्व संध्या पर सोमवार को दो लाख करोड़ की धनराशि किसानों के बैंक खातों में सीधे भेजी गई। यह हमारे गन्ना किसानों की होली की खुशी को दोगुनी कर देगा।''
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गौरतलब है कि प्रदेश के गन्ना मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने गत 22 फरवरी को विधानसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में बताया था कि पेराई सत्र 2021—22 में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 2121.11 करोड़ रुपये और पेराई सत्र 2022—23 में 1582.57 करोड़ रुपये बकाया है।
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी अक्सर बकाया गन्ना मूल्य के मुद्दे को लेकर सरकार का घेराव करती है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरकार बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान को लेकर लापरवाही बरतती रही है। यही वजह है कि आज भी किसानों का हजारों करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य बकाया है।
आदित्यनाथ ने कहा, ''पहले समय पर पानी, खाद और उपज का सही मूल्य न मिलने के कारण खेती घाटे का सौदा मानी जाती थी। हमने गन्ना किसानों को दलालों के चंगुल से मुक्त कराया है, आज किसानों को खरीद पर्ची के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता और उनकी पर्ची उनके स्मार्टफोन में आ जाती है। जो किसानों के नाम पर शोषण और दलाली करते थे उनकी दुकान बंद हो गयी है। ऐसे में जाहिर है उन्हें परेशानी तो होगी ही।''
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में स्थापित फार्म मशीनरी बैंकों के लिए 77 ट्रैक्टरों को हरी झंडी दिखाकर रवाना भी किया।
उन्होंने कहा ''किसान केवल किसान होता है। उसका कोई जाति, मत, मजहब नहीं होता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद पहली बार किसान किसी सरकार के एजेंडे का हिस्सा बने और उन्हें ईमानदारी से शासन की योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हुआ। स्वाएल हेल्थ कार्ड, किसान बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ आज हर उस किसान को उपलब्ध कराया जा रहा है, जो पहले साहूकारों पर निर्भर होता था।
आदित्यनाथ ने कहा, ''आज उत्तर प्रदेश देश में नया रिकॉर्ड बनाने जा रहा है। पहली बार दो लाख करोड़ से अधिक की राशि का गन्ना भुगतान किसानों के बैंक खातों में पहुंच रही है। देश के कई राज्य ऐसे हैं जिनका वार्षिक बजट भी दो लाख करोड़ नहीं है।''
उन्होंने आरोप लागते हुए कहा कि पिछली सरकारों में जहां चीनी मिलें बंद कर दी जाती थीं या औने पौने दामों पर बेच दी जाती थीं, वहीं उनकी सरकार ने किसी चीनी मिल को बंद नहीं कराया, बल्कि बंद चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराने का कार्य किया। मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलों को दोबारा से क्रियाशील किया गया। कोरोना महामारी के दौरान जब दुनिया की चीनी मिलें बंद हो गई थीं, उस वक्त भी उत्तर प्रदेश में 119 चीनी मिलें चल रही थीं।