Champai Soren: जानिए झारखंड टाइगर ने कैसे तय किया किसान से राज्य के मुखिया बनने का सफर

डीएन ब्यूरो

झारखंड में जिलिंगगोड़ा गांव में कभी अपने पिता के साथ खेतों में हल चलाने वाले चंपई सोरेन राजनीति में एक लंबा सफर तय कर राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

झारखंड मुख्यमंत्री चंपई सोरेन
झारखंड मुख्यमंत्री चंपई सोरेन


रांची: झारखंड में सरायकेला-खरसांवा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में कभी अपने पिता के साथ खेतों में हल चलाने वाले चंपई सोरेन राजनीति में एक लंबा सफर तय कर राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं।

अलग राज्य के लिए 1990 के दशक में चले लंबे आंदोलन में अपने योगदान को लेकर चंपई (67) ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाने जाते हैं। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर वर्ष 2000 में झारखंड का गठन किया गया था।

यह भी पढ़ें: सीएम चंपई सोरेन के साथ ये MLA भी लेंगे मंत्री पद की शपथ, जानिये ये बड़े अपडेट

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रमुख शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले चंपई, धन शोधन के एक मामले में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उन्हें गिरफ्तार किये जाने के बाद झामुमो विधायक दल के नेता चुने गए।

मुख्यमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभालने वाले चंपई सातवें व्यक्ति हैं। उनसे पहले बाबूलाल मरांड़ी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा, रघुवर दास और हेमंत सोरेन झाऱखंड के मुख्यमंत्री रहे।

शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत के बाद झामुमो से मुख्यमंत्री बनने वाले वह तीसरे नेता हैं।

चंपई ने झामुमो विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अपने पिता (सिमल सोरेन) के साथ खेतों में काम किया करता था...अब किस्मत ने मुझे एक अलग भूमिका निभाने का मौका दिया है।’’

यह भी पढ़ें: चंपई सोरेन ने ली झारखंड के CM पद की शपथ, राजद-कांग्रेस के MLA भी बने मंत्री

सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई करने वाले चंपई की शादी काफी कम उम्र में ही हो गई थी। उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।

उन्होंने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की।

इसके चार साल बाद उन्होंने झामुमो के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था। वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वह भाजपा के अनंत राम टुडू से हार गए।

उन्होंने 2005 में, भाजपा उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया।

चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की।

वह सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा नीत भाजपा-झामुमो गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे।

हेमंत सोरेन ने 2019 में राज्य में जब दूसरी बार सरकार बनाई, तब चंपई खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बनाये गए।










संबंधित समाचार