कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भारतीय ‘गिरमिटिया’ मजदूरी के इतिहास के अध्ययन के लिए फेलोशिप शुरू की

डीएन ब्यूरो

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने ‘गिरमिटिया’ मजदूरी के अध्ययन के लिए पहली फेलोशिप शुरू की है, जिसके बारे में माना जाता है कि अपनी तरह की पहली फेलोशिप है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भारतीय ‘गिरमिटिया’ मजदूरी के इतिहास के अध्ययन के लिए फेलोशिप शुरू की
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने भारतीय ‘गिरमिटिया’ मजदूरी के इतिहास के अध्ययन के लिए फेलोशिप शुरू की


लंदन: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने ‘गिरमिटिया’ मजदूरी के अध्ययन के लिए पहली फेलोशिप शुरू की है, जिसके बारे में माना जाता है कि अपनी तरह की पहली फेलोशिप है।

ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान ‘गिरमिटिया’ मजदूरी लाखों भारतीयों से जुड़ी विवादास्पद प्रणाली थी जिसने गुलामी की जगह ली थी।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, विश्वविद्यालय के सेल्विन कॉलेज ने पिछले सप्ताह गुयाना-अमेरिकी प्रोफेसर गौत्र बहादुर को ‘बाय-फेलो’ नियुक्त किया। बहादुर ने 'कुली वुमन’ किताब लिखी है जो 19वीं सदी में औपनिवेशिक बागानों में ‘गिरमिटिया’ मजदूर बनी भारतीय महिलाओं के जीवन पर एक प्रमुख अध्ययन है।

बहादुर ने कहा कि वह पहली ‘बाय-फेलो’ बनकर सम्मानित और प्रसन्न महसूस कर रही हैं।

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उन्होंने कहा, “जब मैंने पहली बार इस क्षेत्र में शोध शुरू किया था तो वित्तपोषण नहीं था... अब मैं यह देखकर बहुत खुश हूं कि भविष्य के शोधकर्ताओं की मदद के लिए इस तरह का वित्तपोषण उपलब्ध है।

सेल्विन कॉलेज और अमीना गफूर इंस्टीट्यूट ने मिलकर यह कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत किसी शोधकर्ता को अपने शोध के लिए आठ सप्ताह विश्वविद्यालय में बिताने का मौका मिलेगा। अमीना गफूर इंस्टीट्यूट में इस तरह की अनुबंध प्रणाली और इसकी विरासत का अध्ययन किया जाता है।










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