Electoral Bond: देश के राजनीतिक दलों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर लगाई रोक
राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट बड़ा फैसला सामने आया है। अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी चंदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है और इसे रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले की लिस्ट सार्वजनिक करने के भी आदेश दिये हैं। देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से सरकार और राजनीतिक दलों को बड़ा झटका लगा है।
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा की काले धन को रोकने के दूसरे रास्त भी है। राजनीतिक दलों के चुनावी बॉन्ड के बारे में जानकारी लेना मतदाताओं का अधिकार है।
अदालत ने इस असंवैधानिक बताया और चुनाव आयोग समेत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को चुनावी बॉन्ड का विवरण जनता के लिये उपलब्ध कराने का आदेश दिया।
यह भी पढ़ें |
Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जानिये पूरा अपडेट
यह भी पढ़ेंः इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को 2019 से लेकर अब तक के चुनावी बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने कहा चुनाव आयोग एसबीआई से इसकी जानकारी लेगा। चुनाव आयोग को वेबसाइट पर इसकी पूरी जानकारी देनी होगी।
चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चुनावी बॉन्ड RTI का उल्लंघन#SupremeCourt #ElectoralBonds pic.twitter.com/wflpGt9XaGयह भी पढ़ें | Ethnic Survey: अंतरिम आदेश पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार महागठबंधन सरकार के लिए झटका- भाजपा
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) February 15, 2024
यह भी पढ़ेंः रायबरेली से कौन कांग्रेसी लड़ेगा लोक सभा चुनाव?
सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में जानना या कुछ पूछना जनता का अधिकार है। मतदाताओं को इसकी जानकारी नहीं मिलती है, इसलिये इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार अधिनियम का भी उल्लंघन है। इसलिये इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिये।
देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने 31 अक्टूबर से दो नवंबर तक सभी पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।