

भारत में दो दिन बाद हर्षो उल्लास के साथ अंबेडकर जयंती मनाई जाएगी। ऐसे में आप अपने परिवार और रिश्तेदारों को ये खास कोट्स भेजकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्लीः भारत में हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है। इस दिन कई स्थानों पर गाजे-बाजों के साथ भीमराव अंबेडकर की रैली निकाली जाती है और श्रद्धा-सम्मान के साथ लोगों के बीच प्रस्तुत की जाती है।
भीमराव अंबेडकर एक समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और लेखक हैं जिन्होंने समाज में दलित वर्ग के भेदभाव को समाप्त किया और सभी को शिक्षा का पाठ सिखाया। इस साल भारत में उनकी 135वीं जयंती मनाई जाएगी, जिसकी तैयारियां अभी भी चल रही है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, भारत के संविधान निर्माण में भीमराव अंबेडकर की अहम भूमिका है, जिसके लिए लोग उन्हें आज भी याद करते हैं। यह देश के पहले कानून मंत्री भी रहे हैं और इस दौरान उन्होंने एक बेहतरीन कार्य किया।
अंबेडकर जयंती में केवल कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में अगर आप अपने परिवार वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों को अंबेडकर जयंती के दिन कुछ खास संदेश भेजना चाहते हैं तो यह कोट्स बेस्ट होने वाले हैं। बता दें कि भीमराव अंबेडकर के कोट्स सभी के विचारों और सोच को नई पहल देगा।
भीमराव अंबेडकर के मोटिवेशनल कोट्स
1. मेरी प्रशंसा और जय-जय कार करने से अच्छा है, मेरे दिखाये गए मार्ग पर चलो।
2. जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।
3. स्वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।
4. राजनीति में हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
5. जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
अंबेडकर के शैक्षिक कोट्स
1. विद्यार्थियों को मिलने वाली शिक्षा व्यावहारिक और उपयोगी होनी चाहिए।
2. शिक्षा सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।
3. शिक्षा एक ऐसा साधन है, जो लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है।
4. शिक्षा के माध्यम से मानव आवश्यक कौशल और ज्ञान की प्राप्ति करता है, जिससे सफलता मानव के पग पखारती है।
5. शिक्षा को किसी विशेष धर्म या संप्रदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।