बलरामपुर: न्याय की दरकार, हमारी भी सुनो सरकार, बेटी की मौत के बाद एफआईआर दर्ज कराने को लेकर भटक रहा परिवार

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बलरामपुर में बेटी की मौत के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज कराने को लेकर एक परिवार दर-दर भटकने को मजबूर है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

मृतिका की फाइल फोटो
मृतिका की फाइल फोटो


बलरामपुर: जिले में बेटी की मौत के एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज न होने पर पीड़ित परिवार दर-दर भटक रहा है। इस मामले में पीड़ित परिवार ने अब पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई है। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोतवाली नगर क्षेत्र के पूरब टोला मोहल्ले की रहने वाली साजिदा बेगम ने कोतवाली नगर में 24 जुलाई को तहरीर दी थी कि उसकी बेटी की बहराइच जिले में इलाज के दौरान मौत हो गई है। उसे आशंका है की उसकी बेटी की हत्या हुई है। बावजूद इसके पुलिस ने आश्वासन तो दिया, लेकिन एफआईआर दर्ज करना मुनासिब नहीं समझा। पीड़ित परिवार आज भी न्याय मांगने के लिए चक्कर तो लगा रहा है लेकिन उसे मिल केवल आश्वाशन ही रहा है।

यह है पूरा मामला

पूरब टोला मोहल्ले की रहने वाली साजिदा बेगम ने कोतवाली नगर में तहरीर दी थी की उसकी 18 वर्षीय पुत्री घर से कोचिंग में एडमिशन करवाने निकली थी। दोपहर लगभग दो बजे उन्हें फोन आया कि उनकी बेटी मेमोरियल जिला चिकित्सालय में भर्ती है। वह जब अस्पताल पहुंची तो बेटी की हालत नाजुक बता के इलाज के बहराइच जिले के लिए रेफर कर दिया गया, जहा उसकी मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि उसकी बेटी की हत्या हुई है और पुलिस ठोस करवाई की जगह सिर्फ लीपापोती करने में जुटी है। पीड़ित परिवार को जब कोतवाली नगर की पुलिस से न्याय की आस नहीं दिखी तो उन्होंने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर 30 जुलाई को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। बेटी की मौत को एक सप्ताह पूरा हो रहा है और बड़े साहब को भी प्रार्थना पत्र दिये 48 घंटे का समय बीत गया, लेकिन पीड़ित परिवार के हाथ सिर्फ निराशा ही लगी है। पूरे प्रकरण में खबर लिखे जाने तक कोई मुकदमा पंजीकृत नही हुआ था।

परिवार ने नगर पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

पीड़ित परिवार का आरोप है कि कोतवाली नगर की पुलिस ने न्याय के नाम पर उन्हें गुमराह किया है। साजिदा बेगम ने कहा कि पुलिस ने जिला मेमोरियल अस्पताल की सीसीटीवी फुटेज उसे दिखाई, जिसमे मेरे बेटे ने एक युवक की पहचान सद्दाम निवासी विशुनापुर की करी थी। पुलिस उसे लाई लेकिन 24 घंटे के भीतर ही उसे छोड़ दिया। वहीं पीड़ित परिवार का आरोप है कि प्रभारी निरीक्षक शैलेंद्र सिंह ने उन्हें कही और जाने से मना किया था। उनका कहना है कि एसपी को प्रार्थना पत्र देने के बाद कोतवाल ने उन्हें फिर कहा की कही जाना नहीं। साजिदा ने कहा कि नगर वाले साहब ने उनसे यह तक कह डाला की लड़का निर्दोष है। मृतका की मां का कहना है कि जब लड़का मेरी बेटी को लेकर साथ गया तो वह निर्दोष कैसे हो गया। 

मामा का आरोप हमारे साथ हुई साजिश

बेटी के मामा मोहम्मद आलम का कहना है कि उनके परिवार के साथ साजिश हो रही है। उन्होंने बताया कि कोतवाली नगर में पुलिस ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी को एमएलके महाविद्यालय के पास से सद्दाम बाइक पर बैठा कर ले गया था। लड़की चलती बाइक से कूद गई, जिससे उसके सिर में चोट आने से उसकी मौत हो गई। मोहम्मद आलम का कहना कि जब मेरी भांजी को कूदना होता तो वो बाइक पर क्यों जाती। जरूर उसे कोई खतरे का आभास हुआ होगा जिस पर उसने यह कदम उठाया होगा। वहीं उनका आरोप है कि अस्पताल में सद्दाम के साथ और भी लोग थे, जो कि सीसीटीवी फुटेज में नजर आये थे। 

नहीं मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट

साजिदा बेगम ने बताया कि अभी तक उन्हें पीएम रिपोर्ट तक नहीं मिली है। घटना को एक सप्ताह हो रहा फिर भी परिवार को अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं मिली है। मोहम्मद आलम ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी उन्होंने एसपी को प्रार्थना पत्र दिया है।

एफआईआर दर्ज करने में क्यों कतरा रही पुलिस

एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि जहां मामूली बात में भी एफआईआर दर्ज हो जाती है तो इस मामले में पुलिस मामला दर्ज करने से क्यों कतरा रही है? आखिर क्यों नगर वाले साहब परिवार से बता दिये कि लड़का निर्दोष है? क्या परिवार का आरोप सही है कि उन्हें न्याय के लिए भटकाया जा रहा है? इस पूरे आंख मिचौली के खेल में एक गरीब परिवार न्याय की आस लिये सिर्फ आंसू बहाने को मजबूर है।

 

 










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