बलरामपुर: बिजलेश्वरी देवी मन्दिर में नवमी के दिन जुटी श्रद्धालुओं की भीड़, जानिए मन्दिर से जुड़ी कुछ खास बातें

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के दौरान बलरामपुर में स्थित बिजलेश्वरी देवी मन्दिर का देवी दर्शन हेतु तांता लगा रहता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट



बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद में मुख्यालय से कुल तीन किमी दूरी पर स्थित बिजलेश्वरी देवी का मन्दिर श्रद्धालुओं की आस्था एवं विश्वास का केन्द्र माना जाता है। 

नवरात्रि के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का देवी दर्शन हेतु तांता लगा रहता है। इन दिनों मन्दिर प्रांगण में श्रद्धालुओं द्वारा मुण्डन संस्कार से लेकर अन्य शुभ कार्य कियें जाते है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मां बिजलेश्वरी मन्दिर नगर परिक्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्रवासियों के आस्था का प्रमुख केन्द्र है। इस मन्दिर के बारे में माना जाता है कि यहां पर देवी मां बिजली की तरह प्रगट हुई थी जिसके कारण इस स्थान का नाम बिजलीपुर पड़ा तथा मन्दिर को बिजलेश्वरी देवी के नाम से जाना गया।

मंदिर में देवी की कोई प्रतिमा नही है। यहां श्री यंत्र की पूजा की जाती है। मन्दिर के निर्माण के सम्बन्ध में यह भी कहा जाता है कि एक संत बाबा जयराम भारती राप्ती नदी के किनारे कुटी बनकर रहते थे। 

यह मन्दिर लोगो के आस्था का विश्वास का केन्द्र है वही शिल्पकला की दृष्टि से अलौकिक कला का नमूना है। मन्दिर के गर्भ गृह में मां आदि शक्ति का स्थान है।

इसके अलावा मन्दिर के चारों किनारों पर अन्य देवी देवताओं के मन्दिर बने हुए है।

बिजलेश्वरी देवी मन्दिर की कथा

ऐसा माना जाता है कि मन्दिर की स्थापना लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व हुई थी। जहां यह मन्दिर है वहां देवी का चबूतरा और एक पीपल का पेड़ था।

बलरामपुर के तत्कालीन नरेश दिग्विजय सिंह ने अपने किसी मनोरथ की पूर्ति के लिए इस देवी स्थान पर मन्दिर बनवाने की मन्नत मांगी थी। 

मन्नत पूर्ण होने पर मन्दिर बनवाने के लिए पहुचे तो वहां पर पीपल का पेड़ लगा देखा। पीपल के पेड़ को देवता के रूप में पूजा जाता है, जिससे राजा दुविधा में पड़ गए।

देवी मां ने बलरामपुर नरेश की मनो स्थित को समझकर बिजली रूप में पेड़ पर गिरकर उसे समाप्त कर दिया तथा मन्दिर बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। 

बलरामपुर नरेश ने मन्दिर का निर्माण कराया तथा काशी के विद्धान पण्डितो को बुलाकर श्रीयंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करायी। तभी से ये मन्दिर बिजलेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह मन्नत देवी की साफ मन से पूजन करने से पूरी हो जाती है। 

इसी विश्वास से यहां हर साल विशेष रूप से चैत्र व शारदीय नवरात्रि में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है।

इस दौरान हजारों की संख्या श्रद्धालु आसपास के जनपदों से आ कर यहां बिजलेश्वरी देवी की पूजा अर्चना करते हैं।










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