

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि महिला को छूने या कपड़े उतारने का प्रयास दुष्कर्म का प्रयास नहीं है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
कासगंज: उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को छूने या उसके कपड़े उतारने की कोशिश करता है तो उसे बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कोर्ट ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन को रद्द कर दिया और यौन अपराध से जुड़ी धाराओं में नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना कासगंज जिले के पटियाली इलाके की है। चार साल पहले पीड़िता की मां ने 12 जनवरी 2022 को निचली अदालत में परिवाद दायर किया था। आरोप लगाया गया था कि 10 नवंबर 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ अपने रिश्तेदार के घर गई थी। वापस लौटते समय गांव के ही तीन युवक पवन, आकाश और अशोक मिले। पवन ने बाइक से लड़की को घर छोड़ने की पेशकश की, जिस पर विश्वास कर मां ने अपनी बेटी को उसके साथ भेज दिया। रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की को पकड़ लिया और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की और उसे पुलिया के नीचे खींचने लगे। बेटी की चीख सुनकर मां मदद के लिए दौड़ी। इसी बीच ट्रैक्टर पर सवार होकर आए ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। ग्रामीणों को देखकर आरोपियों ने उन्हें तमंचा दिखाकर धमकाया और भाग गए।
हाईकोर्ट का फैसला और टिप्पणी
मामले में पीड़िता की मां ने पहले पुलिस में शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया, जिसे बाद में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मामले में दुष्कर्म के प्रयास की धाराएं गलत तरीके से लगाई गई हैं और निचली अदालत ने समन जारी करते समय न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने लड़की का सीना पकड़कर रस्सी तोड़कर पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय लोगों के हस्तक्षेप के कारण वे भाग गए।
कोर्ट के अनुसार इन तथ्यों के आधार पर यह दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के समन को निरस्त करते हुए निर्देश दिया कि मामले की दोबारा सुनवाई की जाए और उचित धाराओं के तहत आदेश पारित किए जाएं, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके।
न्याय की दिशा में HC का महत्वपूर्ण कदम
इस फैसले के जरिए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि हर आपराधिक कृत्य को दुष्कर्म का प्रयास नहीं कहा जा सकता, बल्कि यौन अपराध से जुड़ी धाराओं के तहत मामले में नए सिरे से कार्रवाई की जाएगी। पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला लिया है।