New Delhi: भारत के शीर्ष युगल शटलर सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी को चाइना ओपन सुपर 1000 बैडमिंटन टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। शनिवार को खेले गए मुकाबले में भारतीय जोड़ी को मलेशिया के दूसरे वरीय आरोन चिया और सोह वूई यिक के खिलाफ 13-21, 17-21 से सीधे गेमों में शिकस्त झेलनी पड़ी।
मलेशियाई जोड़ी के खिलाफ फिर हार
यह हार सात्विक और चिराग के लिए एक और बड़ा झटका है, क्योंकि मलेशियाई जोड़ी के खिलाफ उनका रिकॉर्ड अब भी कमजोर बना हुआ है। यह दोनों जोड़ियों के बीच अब तक का 14वां आमना-सामना था, जिसमें मलेशियाई खिलाड़ियों ने अपना दबदबा कायम रखा है। आरोन और सोह 2022 के विश्व चैंपियन हैं और दो बार ओलंपिक कांस्य पदक भी जीत चुके हैं।
#Badminton: Satwiksairaj Rankireddy and Chirag Shetty bowed out of #ChinaOpen2025 after a straight-game defeat to Malaysia’s world No. 2 duo Aaron Chia and Soh Wooi Yik in the semifinals yesterday.
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 27, 2025
टोक्यो ओलंपिक की यादें ताजा
सात्विक और चिराग को इसी मलेशियाई जोड़ी ने टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल में भी हराया था। इससे पहले, शुक्रवार को भारतीय जोड़ी ने मलेशिया के ही ओंग यू सिन और टियो ई यी के खिलाफ कड़ा मुकाबला जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।
2024 में लगातार अच्छा प्रदर्शन
सात्विक और चिराग ने 2024 में अब तक कई बड़े टूर्नामेंटों के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया है। उन्होंने इंडिया ओपन, सिंगापुर ओपन और मलेशिया ओपन जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में अंतिम चार में जगह बनाई है। इसके अलावा, इंडोनेशिया ओपन में उन्होंने क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया था।
जापान ओपन से भी हुए थे बाहर
हाल ही में जापान ओपन में उन्हें दूसरे दौर में ही बाहर होना पड़ा, जिससे उनके लय और आत्मविश्वास पर असर पड़ा। हालांकि, वे लगातार बड़े टूर्नामेंटों के अंतिम चरणों तक पहुंचते रहे हैं, जिससे उन्हें टॉप रैंकिंग खिलाड़ियों में गिना जाता है।
सुपर सीरीज टूर्नामेंट्स पर नजर
भले ही 2024 में वे खिताब नहीं जीत सके हैं, लेकिन सात्विक और चिराग की निरंतरता उन्हें ओलंपिक से पहले एक मजबूत दावेदार बनाए रखती है। अब उनकी नजर अगले सुपर सीरीज टूर्नामेंटों की तैयारियों पर होगी।
बैडमिंटन के दिग्गज खिलाड़ी
चाइना ओपन में सेमीफाइनल हार भले ही निराशाजनक हो, लेकिन सात्विक-चिराग की निरंतरता और ऊंचे स्तर पर खेलने की क्षमता उन्हें अभी भी भारतीय बैडमिंटन की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक बनाए रखती है।