नौकरी छोड़ी…सपना छोड़ा, लेकिन बहन को बनाया स्टार; CWC फाइनल में रंग लाई दीप्ति के भाई की कुर्बानी

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया। उनके भाई सुमित शर्मा ने क्रिकेटर बनने में अहम योगदान दिया, अपनी नौकरी छोड़कर दीप्ति के प्रशिक्षण पर पूरा ध्यान दिया। यह जीत उनके भाई के लिए भी बड़ी जीत है।

Post Published By: Mrinal Pathak
Updated : 3 November 2025, 3:32 PM IST
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Mumbai: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रविवार, 2 नवंबर को मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप 2025 के फाइनल में इतिहास रच दिया। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी वाली टीम ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार विश्व कप का खिताब जीता। इस जीत में उत्तर प्रदेश की ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने अहम योगदान दिया। उन्होंने फाइनल में शानदार गेंदबाजी करते हुए पाँच विकेट लिए और अर्धशतक जड़ा। इस प्रदर्शन के साथ दीप्ति पुरुष या महिला वनडे विश्व कप में 20 से ज़्यादा विकेट लेने और 200 से ज़्यादा रन बनाने वाली पहली क्रिकेटर बन गईं।

17 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू

दीप्ति ने मात्र 17 साल की उम्र में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। आठ साल की उम्र से ही वह अपने भाई सुमित शर्मा के साथ एकलव्य स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रशिक्षण लेने जाती थीं। क्रिकेटर बनने की उनकी चाहत ने उन्हें अपने भाई से लगातार मार्गदर्शन लेने के लिए प्रेरित किया। नवंबर 2014 में उन्होंने भारत के लिए खेलना शुरू किया। उस समय तक दीप्ति ने घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश और बाद में बंगाल के लिए कई ट्रॉफियां जीत ली थीं।

ऑलराउंडर बनने का सही मार्ग

दीप्ति को भारतीय टीम में पहुंचने का सबसे अच्छा रास्ता ऑलराउंडर बनना बताया गया। सुमित ने शुरुआती दौर में दीप्ति को मध्यम गति की गेंदबाज़ी के बजाय स्पिन गेंदबाज़ी की ट्रेनिंग दी और उन्हें शीर्ष क्रम में बल्लेबाज़ी करने के लिए तैयार किया। यह रणनीति चोट का जोखिम कम करने के साथ टीम इंडिया में स्थायी स्थान सुनिश्चित करने के लिए थी।

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भाई का बलिदान और समर्पण

दीप्ति के क्रिकेट करियर के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर उनके भाई सुमित ने अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्हें लगा कि दीप्ति के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्हें पूर्ण समय और ध्यान देना होगा। सुमित ने बताया, "2012-2013 के आसपास मुझे एहसास हुआ कि दीप्ति को यूपी से भारत तक पहुंचाने के लिए उसे बहुत मेहनत करनी होगी। मैंने नौकरी छोड़ने का मन बना लिया और पूरी तरह दीप्ति के क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित किया।"

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जब दीप्ति खेलती है, मैं उसके साथ खेलता हूं...

आज दीप्ति के सफल क्रिकेट करियर के पीछे सुमित का यह बलिदान साफ दिखाई देता है। सुमित अब अपनी अकादमी में प्रशिक्षण देते हैं और दीप्ति को टीम इंडिया के लिए एक भरोसेमंद ऑलराउंडर बनाने का अपना वादा पूरा कर चुके हैं। सुमित कहते हैं, "जब दीप्ति खेलती है, तो मैं उसके साथ भारत के लिए खेलता हूं।"

दीप्ति शर्मा की मेहनत, उनके भाई का सहयोग और परिवार का समर्थन टीम इंडिया की इस ऐतिहासिक जीत का सबसे बड़ा आधार बन गए हैं।

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  • Mumbai

Published : 
  • 3 November 2025, 3:32 PM IST