

BCCI ने टीम इंडिया में चयन के लिए फिटनेस के मानकों को और सख्त करते हुए ब्रोंको टेस्ट को भी अनिवार्य कर दिया है। रोहित शर्मा सहित कई बड़े खिलाड़ी इस ब्रोंको और यो-यो टेस्ट को सफलतापूर्वक पास कर चुके हैं।
रोहित शर्मा (Img: Internet)
Bengaluru: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने टीम इंडिया में चयन के लिए फिटनेस मानकों को और कड़ा करते हुए यो-यो टेस्ट के साथ-साथ ब्रोंको टेस्ट को भी अनिवार्य कर दिया है। ब्रोंको टेस्ट मूल रूप से रग्बी खेल से लिया गया है और इसे एक बेहद कठिन फिटनेस टेस्ट माना जाता है। यह टेस्ट खिलाड़ियों की सहनशक्ति, स्टेमिना और रिकवरी क्षमता की परीक्षा लेता है। इस टेस्ट में रोहित शर्मा समेत कई खिलाड़ी पास हो गए हैं।
हाल ही में बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में आयोजित फिटनेस कैंप के दौरान भारतीय वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने अपनी फिटनेस का जलवा दिखाते हुए दोनों ही टेस्ट पास कर लिए। 38 वर्षीय रोहित शर्मा के अलावा, तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, बल्लेबाज शुभमन गिल, गेंदबाज मोहम्मद सिराज, ऑलराउंडर वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, यशस्वी जायसवाल और प्रसिद्ध कृष्णा ने भी यह कठिन टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया।
रोहित शर्मा (Img: Internet)
ब्रोंको टेस्ट की खासियत इसकी तीव्रता और लगातार उच्च स्तर पर दौड़ने की मांग है। यह टेस्ट खिलाड़ियों की हृदय संबंधी क्षमता (कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस), मानसिक सहनशक्ति और तेजी से रिकवरी क्षमता को चुनौती देता है। जबकि यो-यो टेस्ट पहले से ही क्रिकेट में फिटनेस का अहम मानक है, ब्रोंको टेस्ट क्रिकेट जगत के लिए एक नया परिचय है। यह रग्बी में लंबे समय से खिलाड़ियों की फिटनेस मापने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।
ब्रोंको टेस्ट की संरचना बेहद सरल लेकिन शारीरिक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस टेस्ट में 0 मीटर, 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर के स्थानों पर चार शंकु लगाए जाते हैं। खिलाड़ियों को शटल पैटर्न में दौड़ना होता है। एक सेट में खिलाड़ियों को 20 मीटर तक दौड़कर वापस आना होता है, फिर 40 मीटर तक दौड़कर लौटना, और अंत में 60 मीटर तक जाकर वापस आना होता है। प्रत्येक सेट में कुल 240 मीटर दौड़ होती है। इस टेस्ट को पूरा करने के लिए खिलाड़ियों को पांच सेट लगातार करना होता है, जिससे कुल दूरी 1,200 मीटर होती है।
इस पूरे टेस्ट के दौरान कोई भी आराम का समय नहीं दिया जाता। यही वजह है कि इसे फिटनेस की कसौटी माना जाता है, क्योंकि यह न केवल खिलाड़ी की फिजिकल मजबूती बल्कि उसकी मानसिक दृढ़ता का भी परिचायक होता है।
आज के क्रिकेट का व्यस्त कार्यक्रम खिलाड़ियों पर शारीरिक और मानसिक रूप से भारी दबाव डालता है। ऐसे में उच्च स्तरीय फिटनेस बनाए रखना अनिवार्य हो गया है। बीसीसीआई द्वारा ब्रोंको टेस्ट को अनिवार्य करने का मकसद यही है कि भारतीय खिलाड़ी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें और लंबे समय तक चोट-मुक्त और स्वस्थ रह सकें। यह टेस्ट खिलाड़ियों को शारीरिक रूप से अधिक सक्षम बनाने में मदद करेगा और टीम की फिटनेस लेवल को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।