Justice Yashwant Verma Case: आग की लपटों में झुलसी न्याय की साख? जस्टिस वर्मा पर जांच समिति का बड़ा खुलासा

मार्च 2025 में दिल्ली में स्थित न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर लगी आग ने देश के न्यायिक तंत्र को हिला कर रख दिया था। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 19 June 2025, 4:43 PM IST
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नई दिल्ली: मार्च 2025 में दिल्ली में स्थित न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर लगी आग ने देश के न्यायिक तंत्र को हिला कर रख दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने इस पूरे मामले पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, और इस रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है।

क्या हुआ था? 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   आग लगने के बाद दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस की टीम जब घटनास्थल पर पहुंची, तो स्टोर रूम में 1.5 फीट ऊंचा जले-अधजले नकदी का ढेर मिला। इनमें से अधिकांश ₹500 के नोट थे। नजारा ऐसा था कि अधिकारी खुद हैरान रह गए। कुछ नोट प्लास्टिक बैग में थे, कुछ पानी में भीग चुके थे और कुछ अधजले थे।

कहां की है घटना?

यह पूरी घटना दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जज के सरकारी आवास की है। यहीं से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई, जिसे बाद में साफ कर 'गायब' कर दिया गया।

कब की है घटना ?

मामला मार्च 2025 का है, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट जून 2025 में सामने आई है। इस बीच वीडियो वायरल हुए, मीडिया में महाभियोग की चर्चाएं उठीं। अब सामने आई इस रिपोर्ट ने सभी को हैरान कर दिया है।

कौन-कौन शामिल?

10 स्वतंत्र चश्मदीद गवाह, जिनमें दिल्ली फायर सर्विस और दिल्ली पुलिस के अधिकारी शामिल हैं, उन्होंने नकदी अपनी आंखों से देखने की पुष्टि की है।

1. अंकित सहवाग (फायर ऑफिसर, DFS)
टॉर्च की रोशनी में स्टोर रूम में ₹500 के अधजले और भीगे नोटों का ढेर देखा।

2. प्रदीप कुमार (फायर ऑफिसर, DFS)
स्टोर में पैर किसी चीज़ से टकराया, झुककर देखा तो ₹500 के नोटों का ढेर था। साथियों को तुरंत बताया।

3. मनोज मेहलावत (स्टेशन ऑफिसर, DFS)
घटनास्थल की तस्वीरें लीं, अधजली नकदी देखी। उनकी आवाज़ वीडियो में आई: “महात्मा गांधी में आग लग रही है भाई।”

4. भंवर सिंह (ड्राइवर, DFS)
20 साल की सेवा में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर नकदी देखी। दृश्य देखकर हैरान रह गए।

5. प्रविंद्र मलिक (फायर ऑफिसर, DFS)
प्लास्टिक बैग में भरी नकदी जलती देखी। लिकर कैबिनेट से आग और भड़क गई थी।

6. सुमन कुमार (असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर, DFS)
वरिष्ठ अधिकारी को नकदी की जानकारी दी, लेकिन ऊपर से आदेश मिला – "बड़े लोग हैं, कुछ मत करो।"

7. राजेश कुमार (हेड कांस्टेबल, तुगलक रोड थाना)
आग बुझने के बाद अधजली नकदी देखी, मौके पर लोग वीडियो बना रहे थे।

8. सुनील कुमार (ICPCR इंचार्ज)
टॉर्च से अंदर झांककर जली-अधजली नकदी देखी, तीन वीडियो बनाए। वायरल वीडियो उन्हीं में से नहीं था।

9. रूप चंद (हेड कांस्टेबल, तुगलक रोड थाना)
SHO के कहने पर घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग की। नोट पूरे स्टोर रूम में बिखरे थे।

10. उमेश मलिक (SHO, तुगलक रोड थाना)
1.5 फीट ऊंचा नकदी का ढेर देखा – कुछ गड्डियों में बंधे, कुछ पानी में बिखरे थे।

क्यों उठे सवाल?

जस्टिस वर्मा ने नकदी की जानकारी पुलिस या अदालत को नहीं दी है। उन्होंने न कोई शिकायत की, न ही साक्ष्य बचाए। जांच में सहयोग नहीं किया। नकदी वाले स्टोर रूम की पहुंच सिर्फ परिवार के पास थी। जस्टिस वर्मा का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया, लेकिन समिति ने इसे अविश्वसनीय करार दिया।

अब क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने जस्टिस वर्मा को पद से हटाने की सिफारिश की है। महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। हालांकि रिपोर्ट को RTI के तहत सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। जज न इस्तीफा देने को तैयार हैं, न VRS लेने को।

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