Durga Puja 2025: मां दुर्गा के आगमन की तैयारी शुरू, जानें कब से आरंभ होगा महापर्व और क्या है खास

दुर्गा पूजा 2025 इस साल 28 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगी। षष्ठी से लेकर विजयादशमी तक मां दुर्गा की पूजा विशेष विधि से की जाएगी। जानें पर्व की प्रमुख तिथियां, परंपराएं और क्या करें क्या नहीं।

Updated : 21 August 2025, 8:22 PM IST
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New Delhi: शारदीय नवरात्रि के साथ ही देशभर में मां दुर्गा की आराधना का महापर्व दुर्गा पूजा शुरू हो जाता है। इस वर्ष दुर्गा पूजा 28 सितंबर 2025 (रविवार) से आरंभ होकर 02 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) तक मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम और पूर्वोत्तर राज्यों में अत्यंत भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा को उनके मायके आने का पर्व माना जाता है और पूरे 6 दिनों तक उत्सव, भक्ति और सांस्कृतिक रंग देखने को मिलते हैं।

दुर्गा पूजा की प्रमुख तिथियां इस प्रकार हैं-

महाषष्ठी – 28 सितंबर 2025 (रविवार)

महासप्तमी – 29 सितंबर 2025 (सोमवार)

महाअष्टमी – 30 सितंबर 2025 (मंगलवार)

महानवमी – 01 अक्टूबर 2025 (बुधवार)

विजयादशमी (दशहरा) – 02 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)

Navratri 2025

दुर्गा पूजा में बन रहा है विशेष संयोग

दुर्गा पूजा के 6 खास दिन

षष्ठी तिथि (महालय) से पूजा विधिवत शुरू होती है। इस दिन बिल्व निमंत्रण, कल्पारंभ, अकाल बोधन और अधिवास जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं।

सप्तमी को मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा आरंभ होती है।

अष्टमी को कन्या पूजन और संधिपूजा का विशेष महत्व होता है।

नवमी को भक्त विशेष भोग लगाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।

दशमी को सिंदूर खेला, विसर्जन और प्रणाम के साथ मां को विदाई दी जाती है।

इन छह दिनों में जगह-जगह भव्य पंडाल, मां की मूर्तियों की स्थापना, धाक की धुन, धुनुची नृत्य, भोग प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

क्या है इस साल खास?

इस साल दुर्गा पूजा के दौरान अष्टमी और नवमी एक ही तिथि में संधिपूजा का विशेष संयोग बन रहा है। साथ ही विजयादशमी का पर्व गुरुवार को पड़ रहा है, जिसे शुभ कार्यों के लिए विशेष फलदायक माना गया है।

Navratri 2025

विजयादशमी तक मां दुर्गा की पूजा

परंपराएं और मान्यताएं

दुर्गा पूजा को मां दुर्गा के मायके आगमन के रूप में मनाया जाता है।

सिंदूर खेला महिलाओं के लिए विशेष आयोजन होता है जिसमें वे मां को सिंदूर अर्पित करती हैं और एक-दूसरे को लगाती हैं।

भोग वितरण और कन्या पूजन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है।

नोट- यह खबर धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी भी अनुष्ठान या विधि को अपनाने से पहले योग्य पंडित या धार्मिक विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 21 August 2025, 8:22 PM IST