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ज्योतिष के अनुसार रविवार सूर्य देव की उपासना का सबसे शुभ दिन है। मान्यता है कि इस दिन सही विधि से पूजा करने पर सम्मान, आत्मविश्वास, स्वास्थ्य और सफलता मिलती है। जानें रविवार की पूजा विधि, अर्घ्य देने के नियम, क्या न करें और सूर्य बीज मंत्र का महत्व।
सूर्य देव की पूजा (Img source: freepik)
New Delhi: हिंदू धर्म में रविवार को सूर्य देव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य नवग्रहों के स्वामी और आत्मशक्ति, स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा तथा नेतृत्व क्षमता के कारक माने जाते हैं। मान्यता है कि रविवार को श्रद्धापूर्वक सूर्य भगवान की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है और जीवन में ऊर्जा, सम्मान और सफलता बढ़ती है।
सूर्य को साक्षात देवता माना जाता है जिन्हें बिना किसी माध्यम के प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव प्रसन्न होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता मजबूत होती है।
कुंडली में सूर्य कमजोर होने पर व्यक्ति को मान-सम्मान में कमी, आत्मबल की कमी, बीमारियां और बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए रविवार की पूजा को अत्यंत फलदायी माना गया है।
सूर्य देव की उपासना (Img source: Freepik)
रविवार की पूजा सूर्योदय के समय करना सबसे शुभ माना जाता है।
पूजा की विधि इस प्रकार है:
इसके बाद घर के पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर सूर्य देव की तस्वीर रखें, धूप-दीप जलाएं और गुड़ का भोग चढ़ाएं। अंत में सूर्य देव की आरती करें और रविवार व्रत कथा सुनें।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव को प्रसन्न रखने के लिए रविवार को कुछ नियमों का पालन करना बेहद शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
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सूर्य देव का बीज मंत्र है:
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः”
यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इसका नियमित जाप करने से:
Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिषीय आकलनों और उपलब्ध शास्त्रीय संदर्भों पर आधारित है। डाइनामाइट न्यूज इस खबर की पुष्टी नहीं करता है। किसी भी उपाय को अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।