

भीलवाड़ा के दुर्गा शक्ति अखाड़े के 9वें स्थापना दिवस पर 4,000 बालिकाएं घोष करते हुए पथ संचलन में शामिल हुईं। मुख्य अतिथि टी राजा सिंह ने धर्मनिष्ठा और शास्त्र-शस्त्र ज्ञान को लेकर संदेश दिया। कार्यक्रम में शस्त्र पूजन, घोष प्रदर्शन और कटार दीक्षा जैसी कई धार्मिक गतिविधियाँ हुईं।
दुर्गा शक्ति अखाड़ा में पहुंचे टी राजा सिंह
Bhilwara: दुर्गा शक्ति अखाड़े के नौवें स्थापना दिवस के अवसर पर बुधवार को भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर लगभग 4,000 बालिकाएं घोष करते हुए पथ संचलन में शामिल हुईं। यह रैली माली समाज के नोहरे से प्रारंभ होकर बड़े मंदिर, सूचना केंद्र होते हुए हरिसेवा आश्रम तक पहुंची। शहर में स्थित विभिन्न हिन्दू संगठनों ने पुष्प वर्षा, स्वागत और जयकारों से इन बालिकाओं का अभिवादन किया।
समारोह में प्रमुख धार्मिक संस्थान जैसे महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन, महंत बाबू गिरी, महंत प्रकाश दास, संत मयाराम, संत गोविंद राम, ब्रह्मचारी इंद्रदेव आदि उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत राम दरबार के सम्मुख दीप प्रज्वलन से हुई और शस्त्र पूजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तेलंगाना के विधायक टी राजा सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा तू दुर्गा बन या काली बन, लेकिन कभी न बुरखे वाली बन। उन्होंने बालिकाओं को धर्मनिष्ठा के प्रति सजग रहने की प्रेरणा दी और कहा कि शास्त्र एवं शस्त्र ज्ञान दोनों आवश्यक हैं। उन्होंने राजस्थान सरकार के धर्म परिवर्तन कानून का समर्थन किया और जिले के मांडल ग्राम में बंद पड़े देवनारायण मंदिर को पुनः खोलने का आग्रह किया।
दुर्गा शक्ति अखाड़ा में पहुंचे टी राजा सिंह
दुर्गा शक्ति अखाड़े की विभिन्न शाखाओं द्वारा कार्यक्रम में तलवार प्रदर्शन, अखाड़ा प्रदर्शन, और घोष प्रदर्शन किए गए। इस दौरान 5100 बालिकाओं को कटार दीक्षा दी गई, जिससे उनमें आत्मबल और धर्म की जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न हो। समारोह के अंत में सभी बालिकाओं को भोजन कराया गया। अखाड़े से जुड़ी “दीदी” समूह जाह्नवी दीदी, भावना दीदी, कविता दीदी, मुस्कान दीदी, नीतू दीदी, गुंजन दीदी, खुशी दीदी, पूनम दीदी, शानू दीदी, बरखा दीदी, तारा दीदी और तम्मना दीदी ने सभी अतिथियों, आयोजकों और बालिकाओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस आयोजन में एक ओर धार्मिक आस्था और संस्कृति की भावना दिखी तो दूसरी ओर सामाजिक चेतना और आत्मनिर्भरता का संदेश। उद्घोष, कटार दीक्षा और घोष प्रदर्शन ने यह संकेत दिया कि यह अखाड़ा केवल पूजा-अर्चना का केन्द्र नहीं, बल्कि संस्कृति और महिला सशक्तिकरण का मंच बनना चाहता है। टी राजा सिंह का “आने वाला समय युद्ध का है” यह वक्तव्य आज के समय में धार्मिक और सामाजिक संघर्ष के संदर्भ में समझा जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगली लड़ाई मानव चेतना, धार्मिक पहचान और संस्कृति बचाने की होगी।
टी राजा सिंह ने विशेष रूप से राजस्थान सरकार के धर्म परिवर्तन कानून के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन को आसान बनाना और सांप्रदायिक दबावों से बचाना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने मांडल ग्राम में 45 वर्षों से बंद पड़े देवनारायण मंदिर को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया और प्रथम पूजा कराने का वादा किया। यह कार्रवाई धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से प्रतीकात्मक महत्व रखती है।