

DN Exclusive रिपोर्ट में पढ़ें, कैसे एक दौर की सबसे प्रभावशाली महिला नेता मायावती यूपी की राजनीति से अचानक गायब हो गई थीं। क्या थी उनकी हार की वजह? और अब बिहार चुनाव में वापसी की कोशिश, क्या इस बार मिलेगा नया मौका?
मायावती
Lucknow: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती एक बार फिर चर्चा में हैं। लंबे समय तक राजनीतिक परिदृश्य से दूर रहीं मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। उन्होंने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। इसके साथ ही उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी तीखे हमले किए। लेकिन सवाल यह है कि जिस मायावती का कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबदबा था, वह अचानक कहां गायब हो गई थीं? और क्या कारण रहे कि वह दोबारा सत्ता में नहीं लौट पाईं?
क्या था वो घोटाला, जिसने मायावती की राजनीति को कर दिया बेअसर?
दरअसल, मायावती के राजनीतिक पतन की एक बड़ी वजह स्मारक घोटाला माना जाता है। उनके कार्यकाल (2007–2012) के दौरान नोएडा और लखनऊ में लगभग 14 अरब (1400 करोड़ रुपये) की लागत से कई भव्य स्मारक और पार्क बनवाए गए थे। हालांकि बाद में इन्हीं परियोजनाओं को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और ‘स्मारक घोटाले’ की जांच शुरू हुई।
मायावती का बड़ा ऐलान: BSP सभी सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार, बिहार चुनाव में होगी जोरदार चुनौती
इस मामले में मायावती के कई करीबी सहयोगी, यहां तक कि उनके भाई आनंद कुमार भी जांच के घेरे में आ गए। उस समय बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा सहित 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
जब 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तब इन घोटालों की परतें धीरे-धीरे खुलने लगीं। मामले की जांच लखनऊ और नोएडा तक पहुंची और मायावती की छवि पर गहरा आंच आया।
सत्ता से बाहर के बाद सियासी गिरावट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि स्मारक घोटाले ने मायावती की छवि को गहरा नुकसान पहुंचाया। जहां एक समय वह दलित राजनीति की सबसे मजबूत आवाज मानी जाती थीं, वहीं अब उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में लगातार कमजोर होती गई।
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पिछले कुछ चुनावों में बसपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और मायावती खुद भी ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आईं। न मीडिया में दिखीं, न मैदान में। यही कारण रहा कि लोग उन्हें यूपी की राजनीति से 'छूमंतर' मानने लगे।
अब फिर से मैदान में मायावती, लेकिन क्या मिलेगी वापसी की राह?
अब जबकि बिहार चुनाव की घोषणा हो चुकी है, मायावती ने फिर से राजनीति में मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने साफ कहा है कि बसपा बिहार की हर विधानसभा सीट पर उम्मीदवार उतारेगी। लेकिन सवाल ये भी उठता है कि अगर नतीजे अनुकूल नहीं आए तो क्या मायावती एक बार फिर राजनीति से दूरी बना लेंगी?
अब सबकी नजरें बिहार चुनाव पर
बिहार चुनाव दो चरणों में होना तय है। मायावती की पार्टी कितनी सीटों पर जीत दर्ज करती है, यह देखने लायक होगा। क्योंकि यह चुनाव मायावती के लिए न सिर्फ राजनीतिक वापसी का मौका है, बल्कि उनके भविष्य की दिशा भी तय करेगा।