

दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री अमीर खान की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर लगे प्रतिबंध को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी को घेरते हुए उनकी चुप्पी पर सवाल उठाया है।
राहुल गांधी
New Delhi: दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यह कदम जैसे ही सार्वजनिक हुआ, भारत में राजनीतिक गलियारों में बवाल मच गया। पत्रकार संगठनों से लेकर विपक्षी दलों तक ने इस निर्णय की तीखी आलोचना की है।
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर घेरा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि मोदी जी, जब आप किसी सार्वजनिक मंच पर महिला पत्रकारों को बाहर रखे जाने की अनुमति देते हैं, तो आप भारत की हर महिला को यह संदेश दे रहे हैं कि आप उनके लिए खड़े होने के लिए बहुत कमजोर हैं। उन्होंने इसे ‘नारी शक्ति’ के नारे का मज़ाक बताया और कहा कि प्रधानमंत्री की चुप्पी उनके खोखले नारों को उजागर करती है।
राहुल गांधी
राहुल गांधी से पहले भी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम जैसे नेताओं ने इस निर्णय पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि महिलाओं के अधिकारों को भी दबाने का संकेत देता है।
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सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से अफगान पक्ष को सलाह दी गई थी कि महिला पत्रकारों को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल किया जाए। लेकिन अंतिम निर्णय तालिबान प्रतिनिधियों द्वारा ही लिया गया। अफगान मंत्री मुत्ताकी ने इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की थी, जिसमें अफगान-भारत संबंधों के कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
तालिबान शासन लंबे समय से महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाता आया है। शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को सीमित करने पर संयुक्त राष्ट्र समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने लगातार निंदा की है। अब जब अफगान प्रतिनिधिमंडल भारत आया और उन्होंने महिला पत्रकारों को प्रेस से दूर रखा, तो सवाल उठने लगे कि क्या भारत में भी उनके विचारों को स्वीकार किया जा रहा है?
पत्रकार संगठनों और मीडिया से जुड़े लोगों ने इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। उनका कहना है कि महिला पत्रकारों को इस तरह बाहर रखना न सिर्फ संविधान विरोधी है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक छवि को भी नुकसान पहुंचाता है।
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बिहार और अन्य राज्यों के आगामी चुनावों को देखते हुए विपक्ष ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भी भुनाना शुरू कर दिया है। राहुल गांधी के बयान को पार्टी की रणनीति के तहत देखा जा रहा है, जिससे महिलाओं के वोटर्स को साधा जा सके। खासकर तब जब भाजपा ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ जैसे कानूनों का प्रचार कर रही है।
केंद्र सरकार या विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पूरे विवाद पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यही चुप्पी विपक्ष के लिए सवाल खड़े करने का मौका बन गई है। राहुल गांधी और अन्य नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद सामने आकर इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।