

बिहार चुनाव से पहले दिल्ली में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। सभी प्रमुख दलों के नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और सीट शेयरिंग को लेकर बैठकें लगातार जारी हैं। एनडीए और महागठबंधन में अब तक अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
दिल्ली में जमी बिहार की पूरी सियासी फौज
New Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन राज्य की सियासत में हलचल चरम पर है। दिलचस्प बात यह है कि यह हलचल बिहार में नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में देखी जा रही है। आम तौर पर चुनाव से पहले स्थानीय स्तर पर बैठकें होती हैं, वहीं इस बार का सियासी केंद्र दिल्ली बन गया है। एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों के तमाम बड़े नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
इस समय दिल्ली में लगातार राजनीतिक बैठकों का दौर जारी है। बीजेपी, जेडीयू, हम, लोजपा रामविलास सहित एनडीए के सभी घटक दलों के नेता यहां पहुंच चुके हैं। दूसरी ओर राजद, कांग्रेस, वामदल और अन्य सहयोगी दलों के नेता भी दिल्ली में सक्रिय हैं। हालांकि घंटों चली इन बैठकों के बावजूद अब तक सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बन पाई है। यही वजह है कि सभी दलों की निगाहें अब दिल्ली के फैसलों पर टिकी हुई हैं।
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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह और हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी भी शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, मांझी 10 सीटों की मांग पर अड़े हैं, जबकि बीजेपी उन्हें 7 सीटें देने को तैयार है।
एनडीए की तरह महागठबंधन में भी सीटों को लेकर गतिरोध बरकरार है। कई दौर की पटना बैठकों के बाद भी सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई है। लिहाजा अब मामला दिल्ली लाया गया है। राजद सुप्रीमो लालू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दिल्ली रवाना हो चुके हैं। यहां वे कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात कर सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने की कोशिश करेंगे।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि सीटों का ऐलान अगले 1-2 दिनों में किया जा सकता है। एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में बातचीत अंतिम दौर में है, लेकिन कई सीटों को लेकर टकराव बना हुआ है। इस देरी के पीछे हर दल की यही कोशिश है कि उसे ज्यादा से ज्यादा "सेफ" सीटें मिलें।
जहां बाकी दल सीटों की गिनती में उलझे हैं, वहीं प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पहला दांव खेलते हुए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। यह कदम अन्य दलों पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
बिहार की सियासत के सभी बड़े चेहरे चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन मांझी, सुशील मोदी, संजय जायसवाल, तेजस्वी यादव, मनोज झा, मदन मोहन झा जैसे नाम इन दिनों दिल्ली में हैं। यह साफ संकेत है कि बिहार चुनाव से जुड़ा हर अहम फैसला अब दिल्ली में लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि कई नेताओं ने दिल्ली में अपने ठिकाने बना लिए हैं ताकि वे तत्काल होने वाली बैठकों में हिस्सा ले सकें।
बीजेपी जहां अमित शाह और जेपी नड्डा के नेतृत्व में रणनीति बना रही है, वहीं कांग्रेस राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मिलकर तालमेल बनाने में जुटी है। राजद-कांग्रेस गठबंधन में सीटों को लेकर अंदरूनी खींचतान की खबरें भी आ रही हैं। ऐसे में आलाकमान की भूमिका निर्णायक हो सकती है, खासकर सीटों पर आखिरी मुहर लगाने में।