

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले C-Voter का नया सर्वे सियासी हलकों में हलचल पैदा कर रहा है। जहां तेजस्वी यादव सबसे आगे हैं, वहीं नीतीश कुमार की कार्यशैली पर भरोसा अब भी बरकरार है। प्रशांत किशोर की लोकप्रियता ने सभी को चौंका दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव
Patna: बिहार की राजनीति हमेशा से चेहरे, जातीय समीकरण और गठबंधनों की जटिलता के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में भी यही सवाल सबसे बड़ा बना हुआ है कि जनता किस चेहरे को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। इस बार का चुनाव कई दृष्टियों से अलग है, न सिर्फ पुराने दिग्गज मैदान में हैं, बल्कि कुछ नए नाम भी तेजी से उभर रहे हैं। इन्हीं बदलते समीकरणों को लेकर C-Voter का सर्वे सामने आया है, जिसने कई सियासी संकेत दिए हैं।
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी और स्थायी चेहरा रहे हैं। लेकिन C-Voter के आंकड़े बता रहे हैं कि उनके मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वालों की संख्या में कमी आई है। फरवरी 2025 में जहां 18% लोग उन्हें सीएम के रूप में देखना चाहते थे, जून में यह घटकर 17% हो गया। अगस्त में गिरावट और तेज हुई और वे 15% तक आ गए। हालांकि सितंबर में थोड़ा सुधार हुआ और वे 16% तक पहुंच गए।
लेकिन दिलचस्प यह है कि उनके कामकाज को लेकर जनता का भरोसा अब भी बरकरार है। फरवरी में 58% लोग उनके काम से संतुष्ट थे, जो जून में बढ़कर 60% और सितंबर में 61% हो गया। यानी भले ही लोग उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने को लेकर हिचकिचा रहे हों, उनके प्रशासन पर विश्वास बना हुआ है।
बिहार विधानसभा चुनाव
तेजस्वी यादव की लोकप्रियता इस चुनावी दौड़ में सबसे ज्यादा देखी जा रही है। फरवरी 2025 में वे 41% समर्थन के साथ सबसे आगे थे, लेकिन जून में गिरावट आई और वे 35% पर आ गए। अगस्त में यह और घटकर 31% हो गया, पर सितंबर में फिर से उछाल आया और वे 36% के साथ शीर्ष पर लौटे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी 'बिहार अधिकार यात्रा' और लगातार जनसंपर्क अभियान ने उनके जनाधार को मजबूती दी है। युवाओं और बदलाव चाहने वाले तबके में उनका समर्थन अब भी मजबूत बना हुआ है।
इस सर्वे का सबसे बड़ा सरप्राइज नाम है प्रशांत किशोर। फरवरी में जहां उन्हें केवल 15% लोग सीएम पद के लिए पसंद कर रहे थे, वहीं जून में यह 16% और सितंबर में 23% तक पहुंच गया। यह तेजी से बढ़ती लोकप्रियता बताती है कि लोग उन्हें एक वैकल्पिक, तटस्थ और नई सोच वाले नेता के रूप में देख रहे हैं। उनकी पिछली रणनीतिक उपलब्धियां, जमीन पर सक्रियता और जनसंवाद उन्हें राजनीति में मजबूती से स्थापित कर रहे हैं।
चिराग पासवान फरवरी में केवल 4% समर्थन के साथ शुरुआत कर पाए थे, लेकिन जून में यह बढ़कर 10% हो गया। अगस्त में थोड़ा गिरकर 9% पर पहुंचा और सितंबर में फिर से 10% हुआ। सम्राट चौधरी की शुरुआत फरवरी में 8% समर्थन से हुई थी। जून में यह बढ़कर 10% तक गया, लेकिन सितंबर में यह गिरकर 7% पर आ गया। दोनों नेताओं की लोकप्रियता स्थिर है, लेकिन इनकी पकड़ सीमित दायरे में ही दिखाई देती है।
C-Voter सर्वे का सबसे अहम पहलू यह है कि नीतीश कुमार के प्रशासनिक काम से संतुष्ट लोगों की संख्या 61% तक पहुंच चुकी है, जबकि सीएम के रूप में उन्हें पसंद करने वाले केवल 16% हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि लोग उनके काम को तो सराह रहे हैं, लेकिन नेतृत्व के लिए अब नए विकल्प की तलाश कर रहे हैं। दूसरी ओर तेजस्वी यादव की छवि अब भी सबसे लोकप्रिय नेता की बनी हुई है, जबकि प्रशांत किशोर एक मजबूत उभरते विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं। यह चुनाव केवल चेहरे का नहीं, बल्कि जनता की बदलती सोच और उम्मीदों का भी प्रतीक बनने जा रहा है।
• तेजस्वी यादव: सबसे आगे (36%), लेकिन ग्राफ उतार-चढ़ाव भरा
• नीतीश कुमार: स्थिर परफॉर्मेंस, पर सीएम फेस के तौर पर पीछे
• प्रशांत किशोर: तेजी से उभरता नाम, नया विकल्प बनने की संभावना
• चिराग पासवान और सम्राट चौधरी: सीमित दायरे में स्थिर समर्थन