

बिहार चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो रहा है। मुकेश सहनी 60 सीटें और उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहे हैं, लेकिन गठबंधन में उन्हें केवल 14 सीटें मिलने की संभावना है। सीएम फेस विवाद के बीच डिप्टी सीएम पद को लेकर सस्पेंस कुछ हद तक खत्म हुआ है।
इंडिया गठबंधन में CM के चेहरे पर खींचतान
Patna: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (इंडिया गठबंधन) में नया राजनीतिक समीकरण बन रहा है। नए सहयोगी दलों के आने से राजद और कांग्रेस को अपनी सीटें छोड़नी पड़ रही हैं। 2020 के मुकाबले राजद ने 14 और कांग्रेस ने 12 सीटें कम लेने का मन बनाया है। कुल 26 सीटें नए गठबंधन सहयोगी दलों को दी जाएंगी। इन दलों में विकासशील इंसान पार्टी (VIP), लोजपा (पारस गुट), और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) प्रमुख हैं। 26 में से 14 सीटें VIP को देने की योजना है, जबकि भाकपा माले को 27 सीटें मिलने की संभावना है। JMM और लोजपा को दो-दो सीटें मिल सकती हैं।
मुकेश सहनी, जो VIP के प्रमुख हैं, ने 2025 के चुनाव के लिए 60 सीटें और उप मुख्यमंत्री का पद मांग रखा है। सहनी का दावा है कि निषाद समुदाय की संख्या लगभग 9.64% है और वे इस आधार पर राजनीति में अधिक हिस्सेदारी के हकदार हैं। हालांकि, सीट साझा करने को लेकर वे कुछ समझौते के लिए तैयार हैं, लेकिन उप मुख्यमंत्री पद पर किसी भी कीमत पर डिगने को तैयार नहीं। सहनी ने खुद को भावी डिप्टी सीएम के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन गठबंधन में उनके लिए फिलहाल 14 सीटें ही तय होती दिख रही हैं।
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मुकेश सहनी निषाद वोटरों पर एकाधिकार की बात करते हैं, लेकिन वास्तविकता में उनका संगठन उतना मजबूत नहीं है। 2020 में VIP ने एनडीए के साथ मिलकर 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें 4 सीटें जीतने में सफल रहा। लेकिन कई विधायक पार्टी छोड़ भाजपा में चले गए। निषाद समुदाय ने उन्हें पूरी तरह से समर्थन नहीं दिया। इसके अलावा, मुकेश सहनी का संगठन अभी भी मजबूत नहीं माना जाता।
सहनी ने 2022 में यूपी में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन 53 उम्मीदवारों के बावजूद कोई जीत नहीं मिली। चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा नेतृत्व के खिलाफ टिप्पणी की, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हुई। भाजपा ने नतीजा बुरा होने पर उन्हें विधान परिषद से हटवा दिया और नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया।
मुकेश सहनी ने राजनीतिक करियर में अब तक कोई भी चुनाव जीत नहीं पाया है। 2019 में वे तेजस्वी यादव के साथ थे, लेकिन खुद खगड़िया से हार गए। 2020 में एनडीए के साथ चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को तीनों मिली सीटें हार मिलीं। ऐसे में उनके 60 सीटों और उप मुख्यमंत्री पद की मांग को राजनीतिक महत्वाकांक्षा या दबाव दोनों ही माना जा रहा है। गठबंधन में सीएम फेस पर भी असमंजस है, वहीं डिप्टी सीएम पद को लेकर सस्पेंस कम हुआ है, लेकिन सहनी की मांगों को लेकर अभी भी गठबंधन में सहमति नहीं बनी है।
इंडिया गठबंधन में सीएम फेस पर मतभेद जारी हैं, जबकि डिप्टी सीएम पद को लेकर कुछ स्पष्टता आई है। मुकेश सहनी की बड़ी मांगों और उनके राजनीतिक कमजोर पक्ष के बीच गठबंधन की रणनीति अभी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। आगामी चुनाव में इसका असर देखने को मिलेगा।