

सावन माह में उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के एक शिव मंदिर के पास मीट की दुकान खुलने से माहौल गरमा गया। ग्रामीणों ने वीडियो वायरल कर विरोध जताया। मामला बढ़ा तो पुलिस और प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा। आखिरकार दुकान बंद कराई गई, लेकिन इससे पहले काफी बहस और तनाव हो चुका था।
सावन में शिव मंदिर के पास खुली मीट की दुकान
Kanpur Dehat: कानपुर देहात के एक गांव में सावन माह की आस्था और धार्मिक मर्यादाएं उस समय आहत हुईं, जब शिव मंदिर के पास मीट की दुकान खोल दी गई। यह मामला जिले के मंगलपुर थाना क्षेत्र के डिलवल गांव का है, जहां शिव मंदिर से महज 50 फीट की दूरी पर एक मांस दुकान चालू मिली। ग्रामीणों ने जब इस पर आपत्ति जताई तो दुकानदार से तीखी बहस हो गई।
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और पवित्रता के लिए जाना जाता है। इस दौरान सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों के आसपास मांस की दुकानें बंद रखने का निर्देश जारी किया गया था। बावजूद इसके, हसरुद्दीन नामक व्यक्ति द्वारा मंदिर के पास चिकन शॉप खोली गई, जिससे क्षेत्र के लोगों में नाराजगी फैल गई।
गांव के निवासी सुखदेव सिंह ने इस मामले को लेकर मंगलपुर थाना में तहरीर दी। उन्होंने बताया कि शिव मंदिर के निकट मीट की दुकान से दुर्गंध आती है और मंदिर परिसर के आसपास कई बार मांस के टुकड़े भी दिखाई दिए। यह स्थिति भक्तों, खासकर महिलाओं के लिए मानसिक और धार्मिक रूप से कष्टकारी बन गई है।
31 जुलाई को जब सुखदेव सिंह की पत्नी आराधना देवी मंदिर में जल चढ़ाने जा रही थीं, तो चिकन शॉप से निकल रही गंदगी और बदबू को लेकर उन्होंने आपत्ति जताई। इस पर हसरुद्दीन और उसके बेटे आरिफ ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उनका अपमान किया, जिससे मामला और भड़क गया।
सुखदेव सिंह और अन्य ग्रामीणों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। शिकायत के बाद फूड इंस्पेक्टर प्रदीप पटेल और थाना प्रभारी धीरेन्द्र सिंह मौके पर पहुंचे।
फूड इंस्पेक्टर प्रदीप पटेल ने कहा कि सावन माह में धार्मिक स्थलों के पास मीट दुकानें नहीं खुलनी चाहिए और यदि ऐसा हो रहा है तो कार्रवाई निश्चित है। उधर थाना प्रभारी ने बताया कि शिकायत मिलते ही तत्काल प्रभाव से मीट की दुकान को बंद करा दिया गया है और आगे की जांच जारी है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से यह भी मांग की कि भविष्य में किसी भी धार्मिक स्थल के पास मांस-मछली की दुकानें संचालित न हों और सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम दूरी के नियम का सख्ती से पालन कराया जाए।
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब आदेश पहले से मौजूद हैं तो उसका पालन क्यों नहीं हो रहा? आस्था और व्यवसाय के टकराव के ऐसे मामलों में प्रशासन को और भी संवेदनशीलता और तत्परता दिखानी होगी।