

चित्रकूट के गंगा घाट पर रविवार को पितृ विसर्जनी अमावस्या के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया और देव गंगा मंदाकिनी में पितरों को तर्पण किया।
पितृ विसर्जनी अमावस्या पर गंगा घाट पर उमड़े श्रद्धालु
Chitrakoot: पितृ विसर्जनी अमावस्या पर देशभर के लाखों श्रद्धालु भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट के रामघाट पहुंचे। उन्होंने देव गंगा मंदाकिनी में आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ अपने पितरों का तर्पण कर पिंड दान किया। साथ ही पूर्वजों के मोक्ष्य की कामना को लेकर भगवान श्री कामतानाथ के दर्शन और पूजन किए।
इस दौरान पितृ अमावस्या को लेकर जिला प्रशासन द्वारा मेला परिक्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। बता दे कि त्रेता युग में भगवान श्री राम ने वनवास काल के दौरान चित्रकूट की देव गंगा मंदाकिनी में अपने पिता राजा दशरथ का तर्पण किया था।
पितृ विसर्जनी अमावस्या पर चित्रकूट में श्रद्धालु का सैलाब
चित्रकूट के प्रमुख संत एवं दिगम्बर अखाड़ा के महंत दिव्य जीवन दास महाराज ने पितृ विसर्जनी अमावस्या का महत्व बताते हुए कहा कि चित्रकूट विश्व प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ है। जहां प्रभु श्रीराम ने वनवास काल का सर्वाधिक साढ़े 11 वर्ष का समय व्यतीत किया था।
वनवास के दौरान ही प्रभु श्रीराम ने मंदाकिनी के रामघाट में अपने पिता राजा दशरथ जी का पिंडदान किया था। इसके बाद से ही चित्रकूट में पिंडदान की परंपरा शुरू हुई थी।
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लोगों की मान्यता है कि चित्रकूट में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं एडीएम स्वप्निल कुमार और नगर पालिका के ईओ लालजी यादव के साथ मेला व्यवस्थाओं का जायजा लेते पहुंचे चित्रकूट के अपर जिलाधिकारी उमेश चंद्र निगम ने बताया कि पितृ विसर्जनी अमावस्या को लेकर जिला प्रशासन द्वारा रामघाट और कामदगिरि परिक्रमा में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
पितरों का तर्पण और पिंड दान करता पंडित
इसके अलावा मंदाकिनी गंगा में स्नान के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए गोताखोरों की तैनाती की गई हैं। मेले में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रामघाट और कामदगिरि परिक्रमा में खोया पाया केंद्र स्थापित किया गया है।
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वही मध्य प्रदेश के सीधी जनपद से आए श्रद्धालु सुभाष द्विवेदी ने बताया कि चित्रकूट को लेकर बहुत बड़ी मान्यता है कि मंदाकिनी में पिंडदान के करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।