महोबा में शारदीय नवरात्रि की तैयारियाँ पूरी, देवी पंडाल और मूर्तियाँ सज कर तैयार, शक्तिपीठ मां चंद्रिका मंदिर सजा

बुंदेलखंड के महोबा में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर तैयारियों का उत्साह चरम पर है। शहर और आसपास के क्षेत्रों में देवी पंडाल सजकर पूरी तरह तैयार हो गए हैं, जबकि मूर्तिकार अंतिम रूप देने में जुटे हैं। पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 21 September 2025, 6:17 PM IST
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महोबा: बुंदेलखंड के महोबा में शारदीय नवरात्रि के अवसर पर तैयारियों का उत्साह चरम पर है। शहर और आसपास के क्षेत्रों में देवी पंडाल सजकर पूरी तरह तैयार हो गए हैं, जबकि मूर्तिकार अंतिम रूप देने में जुटे हैं। देश के पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से आए मूर्तिकारों ने बड़ी संख्या में देवी प्रतिमाओं को बनाकर तैयार किया है। मिट्टी से निर्मित इन मूर्तियों को भक्त विशेष रूप से पसंद करते हैं, क्योंकि यह पारंपरिक रूप और धार्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाती हैं।

सजावट के साथ-साथ देवी प्रतिमाओं का मनमोहक श्रृंगार

जानकारी के मुताबिक,  देवी मंदिरों में भी सजावट के साथ-साथ देवी प्रतिमाओं का मनमोहक श्रृंगार किया गया है। नवरात्रि के इस पर्व को लेकर लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ पंडालों और मंदिरों में पहुँच रहे हैं। कई भक्त अपने गांव और शहरों से पवित्र स्थानों पर पंडाल बनाकर देवी प्रतिमाओं को विराजमान करते हैं। वहीं, वाहनों में मूर्तियाँ लेकर जाते समय जय माता दी के उदघोषों के साथ भक्ति का वातावरण देखा जा सकता है। महोबा में नवरात्रि के उत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से आए मूर्तिकारों द्वारा निर्मित मिट्टी की मूर्तियाँ विशेष रूप से चर्चित हैं। इन मूर्तियों को विधिपूर्वक पंडाल में स्थापित कर भक्त 9 दिन तक पूजा-अर्चना करते हैं। पूरे महोबा में भक्ति और उल्लास का माहौल देखने को मिलता है।

नवरात्रि के 9 दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान

विशेष रूप से 51 सिद्धपीठों में से एक बड़ी मां चंद्रिका मंदिर को विशेष सजाया और संवारा गया है। यहाँ नवरात्रि के 9 दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जो मेले जैसा दृश्य प्रस्तुत करते हैं। इस दौरान देश के कई राज्यों से श्रद्धालु अपनी मन्नते लेकर पहुंचते हैं और माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

आनंद और उल्लास का अवसर

महोबा में शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक कला का भी प्रतीक है। पंडालों और मंदिरों में रंग-बिरंगी सजावट, मनोहारी मूर्तियाँ और भक्तों की भक्ति-भावना इस पर्व को और भी विशेष बनाती है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्रि का यह उत्सव लोगों के लिए आनंद और उल्लास का अवसर बन गया है।

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