Weather Update: देशभर में मानसून का कहर, कई राज्यों में भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया रेड अलर्ट

देशभर में सावन के महीने में मानसून पूरी ताकत के साथ सक्रिय हो गया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले घंटों में देश के कई हिस्सों में भारी से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं की आशंका भी जताई गई है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 19 July 2025, 7:16 AM IST
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New Delhi: भारत में मानसून ने इस बार अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराई है। जुलाई के मध्य तक अधिकांश हिस्सों में औसत से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। भारतीय मौसम विभाग ने शुक्रवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 24 से 48 घंटे कई राज्यों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में तेज आंधी और भारी बारिश के आसार हैं।

विशेष रूप से दिल्ली में अगले एक सप्ताह तक बादल छाए रहने और रुक-रुक कर हल्की बारिश होने की संभावना है। वहीं, यूपी और बिहार में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं सामने आ सकती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा लगातार बना हुआ है।

बाढ़ की स्थिति गंभीर

मानसून की वजह से कई राज्यों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, उत्तराखंड, कर्नाटक, बंगाल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हैं। हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भारी वर्षा के कारण अब तक 105 लोगों की जान जा चुकी है। नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है और कई इलाकों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है।

अधिक वर्षा वाले राज्य

वर्षा के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में सामान्य से 71 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। राज्य में 595.8 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि सामान्य वर्षा मात्र 348.9 मिमी होती है। राजस्थान ने भी सामान्य 125.6 मिमी की तुलना में 271.9 मिमी वर्षा प्राप्त की है, जो 116 प्रतिशत अधिक है। लद्दाख में भी सामान्य 8 मिमी के मुकाबले 15.8 मिमी वर्षा हुई है।

कृषि और अर्थव्यवस्था पर असर

मानसून भारतीय कृषि के लिए रीढ़ की हड्डी माना जाता है। देश की 42% आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और जीडीपी में 18.2% योगदान इसी क्षेत्र से आता है। पर्याप्त वर्षा से जहां फसलों को लाभ होता है, वहीं अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के कारण नुकसान भी हो सकता है।

इस साल मौसम विभाग ने अनुमान लगाया था कि मानसून के दौरान दीर्घकालिक औसत वर्षा का 106 प्रतिशत प्राप्त हो सकता है। हालांकि कुछ क्षेत्रों जैसे केरल, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु में वर्षा सामान्य से कम रही है।

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