

सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग सेंटरों की मनमानी रोकने के लिए सभी राज्यों को दो महीने के भीतर सख्त नियम बनाने का आदेश दिया है। इन नियमों में अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, सुरक्षा मानक और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय शामिल होंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने में इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग सेंटरों में हो रही मनमानी और छात्रों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाने का आदेश दिया है। सभी राज्यों को दो महीने के भीतर कोचिंग संस्थानों के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, सुरक्षा मानक और शिकायत निवारण तंत्र लागू करना होगा। साथ ही, छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए भी विशेष कदम उठाने होंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने में इस बारे में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कोचिंग सेंटरों के लिए सख्त नियम
देशभर में बिना किसी नियमन के चल रहे कोचिंग सेंटरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने माना है कि कोचिंग संस्थानों की मनमानी से न सिर्फ छात्रों की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसलिए सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे दो महीने के भीतर ऐसे नियम बनाएं, जिनमें कोचिंग सेंटरों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, अग्नि सुरक्षा, बिल्डिंग सुरक्षा और आपातकालीन निकास के मानक शामिल हों। कोचिंग सेंटरों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों और उनके अभिभावकों की शिकायतें प्रभावी और पारदर्शी तरीके से निपटाई जाएं। इसके लिए एक शिकायत निवारण प्रणाली लागू करनी होगी।
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा पर विशेष जोर
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से कोचिंग संस्थानों में छात्रों के बढ़ते मानसिक तनाव पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 100 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों में कम से कम एक सर्टिफाइड काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट या सोशल वर्कर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कर सके। इसके अलावा छोटे कोचिंग सेंटरों को बाहरी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के साथ औपचारिक रेफरल सिस्टम लागू करना होगा, ताकि जरूरत पड़ने पर छात्र प्रोफेशनल मदद प्राप्त कर सकें। कोर्ट ने कोचिंग संस्थानों को सलाह दी है कि वे छात्रों को उनकी अकादमिक परफॉर्मेंस के आधार पर अलग-थलग करने या सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने से बचें क्योंकि इससे उनका मानसिक दबाव और बढ़ता है।
छात्रों के सुसाइड मामलों में कमी
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने लोकसभा में बताया कि साल 2022 में छात्र आत्महत्या का प्रतिशत 7.6 प्रतिशत रहा, जो पिछले वर्षों की तुलना में थोड़ा कम है। 2020 में यह प्रतिशत 8.2 और 2021 में 8 प्रतिशत था। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि छात्र मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार और अन्य संस्थाएं इस दिशा में प्रयासरत हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
तीन महीने में हलफनामा करें दाखिल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन निर्देशों को लागू करने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी तीन महीने के भीतर कोर्ट को हलफनामा के रूप में प्रस्तुत करे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्देशों का सही और समय पर पालन हो।