

12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के विमान की दुर्घटना में 260 लोगों की मौत हो गई थी। सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर जांच की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने केंद्र, DGCA और AAIB से जवाब मांगा है।
अहमदाबाद विमान हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
New Delhi: 12 जून 2025 को देश के नागरिक उड्डयन इतिहास की एक भयावह घटना में एयर इंडिया का बोइंग विमान अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 241 यात्रियों समेत कुल 260 लोगों की जान चली गई थी। हादसे के लगभग 100 दिन बीतने के बाद भी जांच प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन नामक एक गैर-सरकारी संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए दावा किया कि इस भीषण विमान हादसे की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं हो रही। संस्था की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए। भूषण ने कोर्ट को बताया कि हादसे की जांच रिपोर्ट को जानबूझकर टुकड़ों में सार्वजनिक किया जा रहा है। केवल पायलट की गलती को उजागर कर बाकी तकनीकी खामियों और संस्थागत लापरवाही को छिपाया जा रहा है।
अहमदाबाद विमान हादसे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि हादसे में एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति का बयान भी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है, जो कि इस गंभीर दुर्घटना में अहम साक्ष्य हो सकता है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी मांग की कि विमान के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Black Box) की जानकारी सार्वजनिक की जाए ताकि तकनीकी पक्ष की स्थिति स्पष्ट हो सके।
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में केवल पायलट को जिम्मेदार ठहराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी तकनीकी जानकारियों को सार्वजनिक करने की याचिकाकर्ता की मांग उचित नहीं है क्योंकि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय विमानन नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि नोटिस इस सीमित मुद्दे पर जारी किया जा रहा है कि क्या जांच स्वतंत्र, निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से हो रही है? अदालत ने उम्मीद जताई कि अंतिम जांच रिपोर्ट में सभी जरूरी तथ्य उजागर किए जाएंगे।
• DGCA और AAIB की संयुक्त टीम हादसे की जांच कर रही है
• प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट की गलती को प्रमुख कारण बताया गया
• फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की डिकोडिंग की प्रक्रिया अधूरी
• अभी तक किसी उच्चस्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ को जांच का नेतृत्व नहीं सौंपा गया