सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख: बाढ़ और अवैध कटाई पर राज्य के साथ केंद्र को नोटिस जारी, दो सप्ताह में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में बाढ़ और भूस्खलन के मामलों पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पहाड़ियों में अवैध पेड़ों की कटाई को गंभीर चिंता का कारण बताते हुए दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 4 September 2025, 1:25 PM IST
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New Delhi: हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने देश भर में चिंता बढ़ा दी है। इन घटनाओं के पीछे प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ मानवजनित कारणों को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है और पहाड़ों में अवैध पेड़ों की कटाई पर गंभीर चिंता जताई है।

मामला क्या है?

सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर संज्ञान लिया है जिसमें विभिन्न राज्यों में अभूतपूर्व बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं का हवाला दिया गया है। याचिका में यह दावा किया गया कि अवैध पेड़ कटाई और वन संरक्षण के नियमों के उल्लंघन के कारण इन आपदाओं की गंभीरता बढ़ी है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हिमाचल प्रदेश में बाढ़ के पानी के साथ पहाड़ियों से बहकर आई लकड़ियों के लट्ठों के वीडियो बहुत ही गंभीर हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि पहाड़ों में अवैध कटाई हो रही है और यह प्राकृतिक आपदाओं को और गंभीर बना रही है।

सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रूख

किसे नोटिस जारी हुआ?

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने केंद्र सरकार, एनडीएमए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब की सरकारों को भी नोटिस जारी किया है। पीठ ने अनामिका राणा की ओर से दायर याचिका को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह सुधारात्मक उपाय सुनिश्चित करें।

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया रिपोर्टों से पता चला कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बहकर आई। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पहाड़ियों में पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। पीठ ने कहा कि प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए और दो सप्ताह में जवाब देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि केवल प्राकृतिक आपदाओं को दोषी मानना सही नहीं है। मानवजनित कारण जैसे अवैध कटाई और पर्यावरण नियमों की अवहेलना भी इन आपदाओं को बढ़ावा दे रही है।

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आपदा प्रबंधन और सुधारात्मक कदम

सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बाद संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि पहाड़ियों में अवैध कटाई को तुरंत रोका जाए। प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ और भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एनडीएमए और राज्य प्रशासन सक्रिय कदम उठाएं। पर्यावरणीय नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए और भविष्य में आपदाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई जाए।

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