सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल पर रोक लगाने की याचिका की खारिज, उपभोक्ताओं के पास नहीं कोई विकल्प, पढ़ें पूरी खबर

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में E20 की बिक्री के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है। याचिका में उपभोक्ताओं को एथेनॉल-फ्री पेट्रोल का विकल्प देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह नीति निर्धारण का मामला है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 1 September 2025, 3:02 PM IST
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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें देशभर में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) के अनिवार्य प्रयोग पर सवाल उठाया गया था। याचिका में यह मांग की गई थी कि उपभोक्ताओं को एथेनॉल-फ्री पेट्रोल का विकल्प दिया जाए, ताकि वे अपनी गाड़ियों के इंजन की सुरक्षा और दक्षता के अनुसार ईंधन चुन सकें। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि इस विषय पर अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह नीति-निर्धारण का विषय है और केंद्र सरकार ने इस पर पहले से विचार कर निर्णय लिया है।

क्या थी याचिका में मांगे?

जनहित याचिका में दावा किया गया था कि देशभर में बड़ी संख्या में वाहन ऐसे हैं, जो E20 पेट्रोल के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को मजबूर किया जा रहा है कि वे ऐसा ईंधन इस्तेमाल करें जो उनकी गाड़ियों को नुकसान पहुंचा सकता है।

E20 पेट्रोल पर रोक लगाने की याचिका की खारि

याचिका में प्रमुख मांगें थीं

• सभी पेट्रोल पंप पर एथेनॉल-फ्री पेट्रोल (E0) की अनिवार्य उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
• सभी फ्यूल डिस्पेंसिंग यूनिट्स पर स्पष्ट लेबलिंग की जाए कि वह किस प्रकार का फ्यूल उपलब्ध करवा रही हैं- E10, E20 या E0
• उपभोक्ताओं को उनके वाहनों की फ्यूल-कंपैटिबिलिटी की जानकारी दी जाए।
• कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत सरकार एक एडवाइजरी जारी करे।
• एक राष्ट्रीय स्तर पर स्टडी करवाई जाए जिससे यह आकलन हो सके कि E20 फ्यूल के कारण नॉन-कंपैटिबल वाहनों में कितनी यांत्रिक क्षति और दक्षता में कमी हो रही है।

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विकल्प दें, E20 हटाएं नहीं...

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता शादन फरासत ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि सरकार ने बिना किसी नोटिस या विधिवत अधिसूचना के E20 फ्यूल को अनिवार्य कर दिया है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता E20 को पूरी तरह हटाने की मांग नहीं कर रहा, बल्कि सिर्फ यह चाहता है कि उपभोक्ताओं को विकल्प दिया जाए जैसे कि E0 या E10। उन्होंने यह भी कहा कि कई पुराने वाहन E20 फ्यूल के लिए अनुकूल नहीं हैं, और इस बदलाव से मोटर चालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उनके वाहन जल्दी खराब हो सकते हैं या उनकी माइलेज कम हो सकती है।

"नीति पर बाहर से निर्देश नहीं लिया जा सकता"

याचिका का विरोध करते हुए भारत के अटॉर्नी जनरल ने अदालत में कहा कि सरकार ने हर पहलू पर विचार करने के बाद E20 नीति लागू की है। उन्होंने स्पष्ट किया "क्या कोई बाहर से आकर ये तय करेगा कि भारत में कौन सा पेट्रोल इस्तेमाल किया जाएगा?" उन्होंने बताया कि एथेनॉल ब्लेंडिंग नीति के चलते देश के गन्ना किसानों को भारी लाभ हुआ है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है। इसके अलावा यह नीति भारत की तेल आयात पर निर्भरता कम करने, हरित ईंधन को बढ़ावा देने, और पर्यावरण संरक्षण जैसे लक्ष्यों को भी पूरा करती है। सरकार का यह भी कहना था कि याचिका में उठाए गए मुद्दे नीति के दायरे में आते हैं और इन्हें अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।

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"हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं"

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने स्पष्ट किया कि इस विषय में किसी अतिरिक्त आदेश की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह नीति निर्धारण का मामला है और इसमें कार्यपालिका को निर्णय लेने का अधिकार है।

क्या है यह और क्यों हो रहा है लागू?

E20 फ्यूल में 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल का मिश्रण होता है। यह पेट्रोल की तुलना में काफी स्वच्छ ईंधन है और इससे कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आती है। भारत सरकार ने 2025 तक E20 को पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य रखा है।

• पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है।
• किसानों की आमदनी बढ़ती है (गन्ने से बनने वाले एथेनॉल की मांग के कारण)।
• विदेशी मुद्रा की बचत होती है (तेल आयात में कमी से)।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि E20 फ्यूल उन वाहनों के लिए उपयुक्त नहीं है जो इसके अनुसार डिजाइन नहीं किए गए हैं। ऐसे वाहनों में इंजन की उम्र घट सकती है, माइलेज कम हो सकता है और मेन्टेनेंस खर्च बढ़ सकता है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 1 September 2025, 3:02 PM IST