

सभी देश प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए और अपनी उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नए प्रदूषण रहित शक्ति के साधनों का ईजाद कर रहे हैं।
E20 फ्यूल इन गाड़ियों में है कारगर Image (Internet)
New Delhi: भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में ग्रीन एनर्जी पर जोर देते हुए देश में E20 पेट्रोल लॉन्च किया गया है। इसे पेट्रोल में एथेनॉल मिला कर बनाया जाता है।
इस पेट्रोल से देश का तेल आयात कम करने के साथ ही प्रदूषण पर भी लगाम लगाने में मदद मिलेगी। सभी के मन में सवाल उठ रहे हैं कि E20 पेट्रोल का उनकी गाड़ी पर क्या असर होगा? माइलेज में क्या फर्क आएगा? किस तरह के फायदे मिलेंगे?
सोशल मीडिया पर E20 फ्यूल के असर को लेकर काफी बातें हो रही हैं।
अगर आपकी कार लगभग 10 साल पुरानी है और उसे E10 यानी 10% इथेनॉल वाले फ्यूल पर चलाने के लिए बनाया गया है, तो उसमें E20 डालने से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा. फर्क बस इतना होगा कि गाड़ी की माइलेज थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन इंजन पर इसका तुरंत कोई बुरा असर नहीं दिखेगा।
दरअसल E20 फ्यूल नई गाड़ियों में तो सपोर्ट करता है, लेकिन पुरानी गाड़ियों के लिए यह उतना कारगर नहीं माना जाता। ऐसे में कार बनाने वाली कंपनी ने इसका भी सॉल्यूशन निकाल लिया है।
दरअसल, कंपनी पुरानी गाड़ियों के लिए E20 अपग्रेड किट लाने जा रही है। इससे पुरानी गाड़ियों में भी E20 फ्यूल सपोर्ट करेगा।
साल 2023 से लगभग सभी गाड़ियां E20 कम्प्लायंट इंजन के साथ आ रही हैं। अप्रैल 2023 से बनने वाली BS6 फेज-2 वाली गाड़ियां पूरी तरह E20 पेट्रोल कंप्लायंट हैं। वहीं, 2023 से पहले बनी गाड़ियां इस फ्यूल से प्रभावित हो रही हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने बताया, ऐसी गाड़ी में E20 पेट्रोल इस्तेमाल करने से इंजन के कंपोनेंट्स जल्दी खराब हो सकते हैं। रबर और प्लास्टिक से बने कंपोनेंट्स जैसे गैसकेट, फ्यूल इंजेक्टर में गड़बड़ी आ सकती है या उन्हें जल्दी बदलना पड़ सकता है। ऐसे में यह समस्या आपकी जेब पर बोझ बढ़ा सकती है।
E20 पेट्रोल में ई का मतलब है इथेनॉल। E20 का मतलब है पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 20 फीसदी है। फिलहाल देश में मिलने वाले पेट्रोल में 10 फीसदी तक इथेनॉल होता है।
E20 फसलों से तैयार किए गए एथेनॉल से बनाया जाता है। ये अल्कोहल बेस्ड फ्यूल है। इस पेट्रोल के इस्तेमाल से गाड़ी से निकलने वाले धुएं में 35 फीसदी तक कम कार्बन-मोनो-ऑक्साइड पैदा होती है। सल्फर-डाई-ऑक्साइड भी कम निकलती है।
इथेनॉल बायोमास से बनाया जाता है। ज्यादातर इथेनॉल मक्के और गन्ने से तैयार किया जाता है। भारत में गन्ना और मक्के की खेती बड़े पैमाने पर होती है। ऐसे में देश में एथेनॉल का उत्पादन तेजी से बढ़ाया जा सकता है।
भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल फिलहाल आयात करता है। पिछले वित्त वर्ष में देश का तेल आयात बिल लगभग 119 अरब डॉलर पहुंच गया था। साल 2013-14 से अभी तक एथेनॉल का उत्पादन छह गुना बढ़ा है। इससे लगभग 54 हजार करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा बची है। सरकार ने साल 2025 तक देश में पूरी तरह E-20 ईंधन की बिक्री का लक्ष्य रखा है। पेट्रोल कंपनियां भी 2G और 3G एथनॉल प्लांट्स बना रही हैं।