

बाबा आप हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे?’तब किसान ने कहा, ‘मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं, इसलिए मैं अपना अंगूठा लगा दूंगा। इसके बाद थाने में मचा था हड़कंप पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज पर
नई दिल्ली: पश्चिमी यूपी के किसान नेता से लेकर देश के प्रधानमंत्री बनने तक चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। किसानों की आवाज बनने वाले चौधरी चरण 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री रहे। ऐसे में आज भी कई किस्से लोगों को याद है। इसमें से एक किस्सा 25 साल पहले जो पूरे थाने में हड़कंप मचा दिया था
नजर घुमाई तो उसके सामने गंदे कपड़े..
साल 1979 की बात है जब शाम के समय एक परेशान किसान यूपी के इटावा जिले के ऊसराहार थाने पहुंचा। किसान ने पहले इधर-उधर देखा और फिर झिझकते हुए हेड कांस्टेबल के पास पहुंचा। इस दौरान हेड कांस्टेबल आराम कर रहा था और जैसे ही उसने नजर घुमाई तो उसके सामने गंदे कपड़े और धोती पहने एक किसान खड़ा था, जिसके पैरों में चप्पल भी नहीं थी। कांस्टेबल ने किसान से पूछा, "हां, क्या हुआ?"
थाने में शिकायत दर्ज
इस पर किसान ने डर और झिझक के साथ बताया कि वह मेरठ से अपने रिश्तेदार के यहां बैल खरीदने आया है, लेकिन रास्ते में किसी जेबकतरे ने उसकी जेब काट ली और पैसे निकाल लिए, इसलिए वह थाने में शिकायत दर्ज कराने आया है। हेड कांस्टेबल ने टेढ़ी निगाह से पूछा, 'भाई, तू इतनी दूर मेरठ से बैल खरीदने क्यों आया? क्या तेरे पास कोई सबूत है कि तेरी जेब कटी है? हो सकता है कि तेरे पैसे कहीं गिर गए हों या कोई सबूत हो कि किसी ने तेरी जेब काटी है, तेरे पैसे कहीं गिर गए हों या तूने खाने-पीने पर पैसे खर्च कर दिए हों और अब तू घरवालों के डर से चोर बनने का नाटक कर रहा है?' आखिर में कांस्टेबल ने कहा, 'जा, शिकायत दर्ज नहीं होगी।'
हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे
पुलिस के इस व्यवहार से किसान निराश और परेशान हो गया और दूसरी तरफ तब एक कांस्टेबल ने उसे बुलाया और उससे बात की। बातचीत में यह तय हुआ कि अगर किसान कुछ पैसे (रिश्वत) देने में कामयाब हो जाता है तो उसकी रिपोर्ट लिखी जाएगी। परेशान किसान ने पुलिस की यह पेशकश स्वीकार कर ली। इसके बाद याचिका दायर की। पूरी बातचीत के बाद मंशी ने कहा, बाबा आप हस्ताक्षर करेंगे या अंगूठा लगाएंगे?'तब किसान ने कहा, 'मैं पढ़ा-लिखा नहीं हूं, इसलिए मैं अपना अंगूठा लगा दूंगा।
प्राधनमंत्री भारत सरकार
'मुंशी ने किसान की ओर कागज बढ़ा दिया। निराश और परेशान किसान ने जेब में हाथ डाला और एक मार्कर और पेन निकाला। इससे पहले कि मुंशी कुछ समझ पाता, किसान ने पैड से कागज पर मुहर लगा दी वहीं जब मुंशी मने कागज को पढ़ा तो उसमें प्राधनमंत्री भारत सरकार लिख हुआ था। इससे पूरे थाने में हड़कंप मच गया था। ऐसे में पूरे थाने को निलंबित कर दिया गया था।