

साल 2025 में भीड़ प्रबंधन की लापरवाही कई बार भारी पड़ी है। विजय की रैली, प्रयागराज महाकुंभ और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जैसी घटनाओं में 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सवाल ये है कि इतने दर्दनाक हादसों के बावजूद प्रशासन अब तक क्यों नहीं चेता?
2025 में भीड़ से जुड़े हादसे
New Delhi: साल 2025 की सबसे चिंताजनक कड़ियों में से एक रही भीड़ से जुड़ी घटनाएं, जो अक्सर प्रशासनिक लापरवाही और क्राउड मैनेजमेंट की विफलता के कारण मौतों में बदलती रहीं। एक के बाद एक हादसे ने देश को हिलाकर रख दिया, लेकिन व्यवस्था में सुधार के ठोस प्रयास अब तक नजर नहीं आए।
27 सितंबर, 2025, को तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) की रैली में मची भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली। यह हादसा तब हुआ जब आयोजकों ने केवल 10,000 लोगों के लिए अनुमति ली, लेकिन भीड़ 27,000 पार कर गई। TVK की यह रैली जितनी भावनात्मक रूप से समर्थकों के लिए खास थी, उतनी ही भारी चूक की मिसाल भी बन गई। तमिलनाडु DGP जी. वेंकटरमण ने जानकारी दी कि पहले की तुलना में इस बार भीड़ का स्तर बेहद ज्यादा था। हादसे की मौके पर जांच जारी है।
2025 में भीड़ से जुड़े हादसे
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के अवसर पर यूपी के प्रयागराज महाकुंभ में भी भारी हादसा हुआ। संगम नोज पर मची भगदड़ में 37 लोगों की मौत हो गई। यह घटना तब हुई जब अचानक भीड़ का दबाव बढ़ा और नियंत्रण टूट गया। सरकार ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा दिया, लेकिन लोग पूछ रहे हैं "क्या हर बार जान जाने के बाद मुआवजा ही समाधान है?"
Karur Exclusive: खून, चीखें और टूटी उम्मीदें… भयावह था विजय की रैली का मंजर
15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक और दिल दहला देने वाली घटना घटी। महाकुंभ जाने के लिए हजारों श्रद्धालु स्टेशन पर इकट्ठा हुए लेकिन जैसे ही ट्रेन लेट हुई, भीड़ बेकाबू हो गई।18 लोग इस भगदड़ में मारे गए और कई घायल हो गए। यह हादसा साबित करता है कि स्टेशन जैसी जगहें भी आपदा की स्थिति में सुरक्षित नहीं हैं, अगर प्रशासनिक तैयारी न हो।
4 जून, 2025, को जब आरसीबी ने पहली बार आईपीएल ट्रॉफी जीती, तो बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में जश्न के नाम पर मौत का तांडव देखने को मिला। लाखों की भीड़ स्टेडियम में उमड़ी और क्राउड कंट्रोल फेल हो गया। 11 लोगों की मौत और 30 से ज्यादा घायल हो गए। यह हादसा सवाल उठाता है क्या जीत का उत्सव भी जिम्मेदारी के बिना मनाया जाएगा?
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में क्राउड मैनेजमेंट को अब भी हल्के में लिया जाता है। अधिकतर आयोजनों में सिर्फ पेपर SOP बनाकर जिम्मेदारी निभा ली जाती है, जबकि फील्ड में प्रशिक्षण, प्लानिंग और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम लगभग न के बराबर होते हैं।