SC ने स्टैंड-अप कॉमेडियन्स को लगाई फटकार, कहा- कमाई के लिए दिव्यांगजनों का मज़ाक बर्दाश्त नहीं…

सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर सख्ती दिखाते हुए स्पष्ट किया कि पैसे कमाने के लिए की गई टिप्पणियां फ्री स्पीच नहीं, बल्कि कॉमर्शियल स्पीच हैं। दिव्यांगजनों पर असंवेदनशील टिप्पणियों को लेकर कोर्ट ने माफ़ी मांगने और सामाजिक जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 25 August 2025, 3:34 PM IST
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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में स्टैंड-अप कॉमेडियन्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट किया गया कंटेंट, जो कमाई का माध्यम बनता है, वह "फ्री स्पीच" की श्रेणी में नहीं आता, बल्कि यह कॉमर्शियल स्पीच कहलाएगा।

इस मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना के एक शो में दिव्यांगजनों पर कथित तौर पर असंवेदनशील टिप्पणी की गई थी। इस शो में शामिल अन्य कॉमेडियन्स विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, निशांत जगदीश तंवर और सोनाली ठक्कर (उर्फ सोनाली आदित्य देसाई) पर भी आरोप लगे कि उन्होंने दिव्यांगजनों का मज़ाक उड़ाया। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी कॉमेडियन्स को निर्देश दिया कि वे बिना शर्त माफ़ी मांगे और अपने यूट्यूब चैनल एवं पॉडकास्ट पर इस माफ़ी को सार्वजनिक रूप से प्रसारित करें।

एक कमेंट कर बुरे फंसे रणवीर

इसी कड़ी में यूट्यूब इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया का नाम भी सामने आया, जिन्होंने समय रैना के शो में माता-पिता पर कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस हुई और उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके बाद समय रैना को अपना शो "India's Got Latent" बंद करना पड़ा।

कोर्ट ने कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) से जूझ रहे बच्चों के परिजनों ने जो आपत्ति जताई, वह न केवल जायज थी बल्कि उनके साहस का परिचायक भी है। कोर्ट ने माना कि इस प्रकार की टिप्पणियां समाज के उन वर्गों को आहत करती हैं जो पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि इन इन्फ्लुएंसर्स को न केवल सार्वजनिक माफ़ी मांगनी होगी, बल्कि एक शपथपत्र भी दाखिल करना होगा जिसमें यह उल्लेख हो कि वे भविष्य में अपने प्रभाव का उपयोग दिव्यांगजनों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कैसे करेंगे

कोर्ट ने साथ ही यह चेतावनी दी कि अगर भविष्य में ऐसा कोई मामला सामने आता है, तो संबंधित इन्फ्लुएंसर्स और कॉमेडियन्स पर वित्तीय जुर्माना भी लगाया जा सकता है

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दिया निर्देश

इसके अलावा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) को निर्देश दिया गया है कि वह सोशल मीडिया पर प्रयुक्त भाषा के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन तैयार करे। कोर्ट ने कहा कि यह गाइडलाइन्स किसी एक घटना के आधार पर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया और तकनीक से जुड़ी व्यापक समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बनाई जानी चाहिए। इसके लिए मंत्रालय को NBDSA (न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी) और अन्य संबंधित पक्षों से सलाह लेने को कहा गया है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आगे की सुनवाई में इन कॉमेडियन्स और इन्फ्लुएंसर्स की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई के विकल्प खुले रहेंगे।

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  • New Delhi

Published : 
  • 25 August 2025, 3:34 PM IST