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रूस के राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा से दोनों देशों के दशकों पुराने संबंध फिर चर्चा में हैं। रक्षा, ऊर्जा और रणनीतिक सहयोग पर कई बड़े समझौतों की उम्मीद जताई जा रही है। यूक्रेन युद्ध और एशिया के बदलते शक्ति संतुलन के बीच यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारत-रूस दोस्ती
New Delhi: भारत और रूस का रिश्ता दशकों पुराना और विश्वास पर आधारित रहा है। समय बदला, वैश्विक राजनीति बदली, लेकिन भारत-रूस संबंध हमेशा स्थिर और भरोसेमंद बने रहे। दोनों देशों के बीच यह दोस्ती केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं रही, बल्कि फिल्म, संस्कृति, व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय मामलों तक फैली रही है। अब इसी भरोसे को मजबूत करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत की महत्वपूर्ण यात्रा पर आ रहे हैं। दुनिया की नजरें इस दौरे पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक राजनीति नई दिशा की ओर बढ़ रही है।
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस की वैश्विक स्थिति बदल चुकी है। पश्चिमी देशों से तनाव और प्रतिबंधों के बीच रूस एशिया को नई प्राथमिकता दे रहा है। इस रणनीति में भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। भारत हमेशा रूस का विश्वसनीय साझेदार रहा है और पुतिन की यात्रा यही संदेश देती है कि बदलते समय में भी दोनों देशों का संबंध मजबूत है।
यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में एक महत्वपूर्ण किरदार बनकर उभर रहा है। ऊर्जा सुरक्षा, हथियार, व्यापार और भू-राजनीतिक मुद्दों पर भारत और रूस का सहयोग अन्य देशों को भी प्रभावित करता है।
भारत-रूस दोस्ती
भारत और रूस की दोस्ती की शुरुआत आज़ादी के तुरंत बाद के दौर में हुई थी और यह रिश्ता 1971 की भारत-सोवियत मैत्री संधि से और मजबूत हुआ। रूस ने भारत के रक्षा, अंतरिक्ष और विज्ञान कार्यक्रमों की नींव मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है। आज भी भारत के कई बड़े प्रोजेक्ट्स रूस की तकनीक पर आधारित हैं। बदलते समय में भी दोनों देशों ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।
भारत-रूस साझेदारी की सबसे बड़ी ताकत रक्षा क्षेत्र है। भारतीय सेना के लगभग 60-70% हथियार, विमान और टैंक रूसी तकनीक पर आधारित हैं। इनमें S-400 मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल, मिग और सुखोई लड़ाकू विमान, T-90 टैंक और रूसी न्यूक्लियर सबमरीन का सहयोग शामिल हैं। पुतिन की इस यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में नए समझौतों की उम्मीद है। विशेष रूप से S-500 एयर डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस के नए वेरिएंट पर बातचीत संभावित है।
रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा तय, कितने दिन का होगा पुतिन का दौरा; किन मुद्दों पर होगी अहम बातचीत
रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना भारत के लिए पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने पश्चिमी दबाव को दरकिनार करते हुए रूस से रिकॉर्ड स्तर पर तेल खरीदा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी राहत मिली और रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना। इसके अलावा कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट, भविष्य के परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट और गैस पाइपलाइन सहयोग पर भी नई चर्चा हो सकती है।
यूक्रेन युद्ध वैश्विक राजनीति का सबसे संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। भारत ने इस युद्ध में तटस्थ लेकिन संतुलित रुख अपनाया है।
• रूस का खुला समर्थन नहीं
• रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग से दूरी
• दोनों पक्षों के बीच शांति और बातचीत की अपील
चीन का बढ़ता प्रभाव भारत और रूस दोनों के लिए चुनौती है। भारत रूस को एशिया में संतुलन का मजबूत साथी मानता है। रूस भी चाहता है कि भारत एशिया में उसका सबसे विश्वसनीय दोस्त बना रहे। पुतिन का यह दौरा इसी रणनीतिक संबंध को और मजबूत करेगा।
• सेमीकंडक्टर और चिप मैन्युफैक्चरिंग
• साइबर सुरक्षा
• आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
• आईटी सहयोग
• फार्मा और मेडिकल टेक