Plane Crash: हवाई यात्राएं पहले जैसी क्यों नहीं रहीं सुरक्षित? जानिए क्यों भयभीत हो रहे हैं लोग?

अब लोग हवाई सफर को लेकर असहजता महसूस कर रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़िए ऐसा क्यों हो रहा है।

Post Published By: Manoj Tibrewal Aakash
Updated : 24 June 2025, 2:56 PM IST
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नई दिल्ली: हाल ही में हुई एक विमान दुर्घटना ने यात्रियों के मन-मस्तिष्क पर गहरा असर डाला है। रिसर्च और लगातार हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के अनुभवों से सामने आया है कि अब लोग हवाई सफर को लेकर मानसिक असहजता महसूस कर रहे हैं। हल्की सी भी तकनीकी गड़बड़ी या हवा में हलचल होने पर लोगों के मन में भय, बेचैनी और घबराहट पैदा हो रही है।

कुछ यात्रियों ने बताया कि फ्लाइट के दौरान अब वे हनुमान चालीसा साथ लेकर चलते हैं, जिससे उन्हें मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। वहीं कई अन्य ने स्वीकार किया कि विमान हादसे की खबरों ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को झकझोर कर रख दिया है।

घबराहट और असुरक्षा का माहौल

कई यात्रियों के मन में अब एक स्थायी सवाल घर कर गया है – “अगर मेरी फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई तो क्या होगा?” यही विचार उन्हें न केवल अपने लिए बल्कि अपने साथ यात्रा करने वाले प्रियजनों के लिए भी गहरी चिंता में डाल रहा है। यह भावनात्मक तनाव, तेज दिल की धड़कन, पसीना, कांपना और घबराहट जैसे लक्षणों के रूप में सामने आ रहा है।

People scared of Ahmedabad plane crash (Source-Internet)

अहमदाबाद विमान दुर्घटना से भयभीत लोग (सोर्स-इंटरनेट)

विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति एक प्रकार की "फ्लाइट एंग्जायटी" कहलाती है, जो व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, और व्यवहारिक रूप से प्रभावित कर सकती है। कई यात्री अब यात्रा के लिए वैकल्पिक विकल्पों जैसे ट्रेन या बस को प्राथमिकता दे रहे हैं।

सुरक्षा पर बढ़ता फोकस

अब लोग सिर्फ टिकट के दाम नहीं, बल्कि उस एयरलाइन की सुरक्षा रिकॉर्ड, विमान रखरखाव, और पायलट की दक्षता जैसी बातों पर भी ध्यान दे रहे हैं। यात्रियों का विश्वास अब सुविधाओं से अधिक सुरक्षा पर निर्भर हो गया है।

विमानन कंपनियों पर बढ़ा दबाव

इस बदली हुई मानसिकता ने एयरलाइनों और विमानन कंपनियों पर भी दबाव बना दिया है कि वे पारदर्शिता और यात्रियों की भावनात्मक सुरक्षा को प्राथमिकता दें। यात्रियों को यह विश्वास दिलाना कि वे सुरक्षित हैं, अब केवल एक प्रचार नहीं, बल्कि एक ज़रूरत बन गई है।

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