वंदे मातरम पर संसद में होगी चर्चा, 10 घंटे का समय अलॉट; PM मोदी भी होंगे शामिल

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर 10 घंटे चर्चा होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वंदे मातरम गीत ने 150 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर लोकसभा में खास चर्चा का आयोजन रखा गया है। सरकार और विपक्ष दोनों इस पर 10 घंटे चर्चा करेंगे। संसद में वंदे मातरम पर चर्चा 3 या 4 दिसंबर को होनी है

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 1 December 2025, 8:03 PM IST
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New Delhi: इस बार संसद के विंटर सेशन में कुछ अलग होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर 10 घंटे चर्चा होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वंदे मातरम गीत ने 150 साल पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर लोकसभा में खास चर्चा का आयोजन रखा गया है। सरकार और विपक्ष दोनों इस पर 10 घंटे चर्चा करेंगे। खास बात यह है कि PM मोदी भी इसमें हिस्सा लेंगे। सरकार ने गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका को समझने के लिए चर्चा करने का फैसला किया है।

इस दिन होगी वंदे मातरम पर चर्चा

संसद में वंदे मातरम पर चर्चा 3 या 4 दिसंबर को होनी है। गौरतलब है कि सभी पार्टियों ने सरकार के इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति जताई है। इसमें पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर किरेन रिजिजू की बुलाई गई ऑल-पार्टी मीटिंग और लोकसभा और राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग शामिल हैं।

सरकार का मानना ​​है कि यह फैसला देश की एकता का प्रतीक है। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर पार्लियामेंट में होने वाली बहस सिर्फ गाने पर ही फोकस नहीं करेगी, बल्कि देश की कल्चरल जड़ों और आजादी के आंदोलन की भावना को भी हाईलाइट करेगी, जिसने भारत को एक किया है।

PM मोदी ने राष्ट्रीय गीत का मतलब समझाया

7 नवंबर को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" की 150वीं सालगिरह के मौके पर एक इवेंट में वंदे मातरम का मतलब "संकल्पों की सिद्धि" बताया। PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि "वंदे मातरम" गुलामी के दौरान भारत की आजादी के संकल्प का ऐलान बन गया। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने एक बार कहा था कि बंकिम चंद्र का आनंद मठ सिर्फ एक नॉवेल नहीं बल्कि एक ग्रंथ है।

बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था गाना

गौरतलब हो कि भारत का राष्ट्रीय गीत, वंदे मातरम, बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था। यह 7 नवंबर, 1875 को लिटरेरी मैगज़ीन बंगदर्शन में पब्लिश हुआ था। बाद में इसे उनके मशहूर नॉवेल आनंदमठ में शामिल किया गया। यह नॉवेल सन्यासी विद्रोह के बैकग्राउंड पर आधारित है, जो बंगाल प्रेसीडेंसी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ एक विद्रोह था।

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Published : 
  • 1 December 2025, 8:03 PM IST