New Delhi: शुक्रवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने एक अहम बयान देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और भारतीय सेनाओं को 24 घंटे साल के 365 दिन पूरी तरह तैयार रहना होगा। उन्होंने बल देते हुए कहा कि युद्ध सिर्फ हथियारों (शस्त्र) से नहीं बल्कि रणनीति और ज्ञान (शास्त्र) से भी लड़ा जाता है। जनरल चौहान ने कहा कि आज का युद्ध केवल पारंपरिक नहीं रहा, बल्कि यह किनेटिक (हथियार आधारित) और नॉन-किनेटिक (सूचना और रणनीति आधारित) तकनीकों का मिश्रण बन गया है। इसमें पहली दूसरी और तीसरी पीढ़ी के युद्ध कौशलों को एक साथ अपनाना जरूरी है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
गुरुवार को भारत सरकार ने राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विस्तार से जानकारी दी। विदेश राज्य मंत्री किर्ती वर्धन सिंह ने बताया कि यह ऑपरेशन 7 मई 2025 को शुरू किया गया था। इसकी पृष्ठभूमि में 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले थे। जिनमें भारतीय सुरक्षाबलों के जवान शहीद हुए थे। सरकार ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन भारत की तरफ से फोकस्ड, मापी हुई और उकसावे से बचने वाली कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य आतंकियों के ढांचे को नष्ट करना था।
क्या अंतरराष्ट्रीय दबाव में हुआ ऑपरेशन सिंदूर?
जब सरकार से यह सवाल पूछा गया कि क्या ऑपरेशन सिंदूर अंतरराष्ट्रीय दबाव में शुरू किया गया, तो विदेश मंत्रालय ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि यह भारत की स्वतंत्र, सशक्त और सामरिक जवाबदेही थी। सरकार ने दावा किया कि पाकिस्तान ने जानबूझकर भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने हर बड़े हमले को नाकाम कर दिया।
भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को भारी नुकसान
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान और पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में स्थित आतंकी संगठनों- जैश-ए-मोहम्मद, हिज़बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तैयबा के कम से कम 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इस दौरान 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया। पाकिस्तानी मिलिट्री बेस और एयरबेस पर भी लक्षित हमले किए गए। भारत ने पाकिस्तान की तरफ से की गई प्रॉक्सी वॉर रणनीति को जवाब दिया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इन हमलों में आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया, और कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत की गई।
10 मई को हुआ संघर्ष विराम
लगातार चार दिन तक चले सशस्त्र संघर्ष के बाद 10 मई 2025 को पाकिस्तान की तरफ से युद्धविराम का प्रस्ताव भारत को भेजा गया। पाकिस्तान के महानिदेशक सैन्य संचालन (DGMO) ने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया और युद्धविराम पर सहमति बनी। इस संघर्ष विराम के बाद भारत ने भी आक्रामक सैन्य कार्रवाई रोक दी, लेकिन CDS जनरल अनिल चौहान के अनुसार सेनाएं अब भी पूरी तरह सतर्क और तैनात हैं।

