

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के गंभीर आरोपों पर भारतीय चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब दिया है। हाल ही में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मिलीभगत का आरोप लगाया था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के गंभीर आरोपों पर भारतीय चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब दिया है। हाल ही में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मिलीभगत का आरोप लगाया था। इस पर चुनाव आयोग के सूत्रों ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी को अपने आरोपों और विश्लेषण पर विश्वास है, तो उन्हें शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, “यदि राहुल गांधी अपने निष्कर्षों को सही मानते हैं, तो उन्हें सबूतों के साथ एक अधिकृत शपथ-पत्र देना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो इसका मतलब है कि उन्हें खुद ही अपने बेतुके आरोपों पर विश्वास नहीं है। ऐसी स्थिति में उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।” आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अब राहुल गांधी के सामने दो ही विकल्प हैं— या तो वे शपथ-पत्र पर दस्तखत करके आरोपों को साबित करें, या देश से माफ़ी मांगे।
यह पहली बार नहीं है जब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से सबूत की मांग की है। कर्नाटक के महादेवपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में कथित हेराफेरी को लेकर राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद, वहां के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने उनसे शपथ-पत्र और ठोस प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा था।
इसी तरह, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर भी राहुल ने धोखाधड़ी और मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। इसके जवाब में महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी राहुल गांधी से स्पष्ट सबूत और शपथ-पत्र की मांग की थी।
बीते दिन दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि भारत के चुनाव आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर चुनावी व्यवस्था को कमजोर किया है, जिसके कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सत्ता में आने का मौका मिला।
उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी सिर्फ 25 सीटों के अंतर से फिर से प्रधानमंत्री बने हैं। चुनाव आयोग भाजपा को चुनावी तंत्र को बर्बाद करने में मदद कर रहा है। हमें कर्नाटक के महादेवपुर क्षेत्र में मतदाता डेटा नहीं दिया जा रहा। अगर हम अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी यही विश्लेषण करें, तो लोकतंत्र की सच्चाई सबके सामने आ जाएगी।”