डोनाल्ड का अहंकार बनाम मोदी की चुप्पी: नोबेल पुरस्कार की चाह में Trump ने खोया संतुलन! क्या क्वाड सम्मेलन में दिखेंगे ट्रंप?

हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाना केवल एक व्यापारिक फैसला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा कूटनीतिक और व्यक्तिगत विवाद छिपा हुआ है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक अप्रिय बातचीत ने इस पूरे घटनाक्रम को जन्म दिया।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 31 August 2025, 10:36 AM IST
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New Delhi: 17 जून को ट्रंप और मोदी के बीच टेलीफोन पर लगभग 35 मिनट लंबी बातचीत हुई थी, जिसने दोनों नेताओं के रिश्ते में खटास ला दी। ट्रंप ने दावा किया कि मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन चले सैन्य संघर्ष को रोकवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है, और इसलिए पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने जा रहा है। उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया कि भारत भी उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करे। लेकिन मोदी ने साफ शब्दों में न सिर्फ यह मांग ठुकरा दी, बल्कि यह भी कहा कि इस संघर्षविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही। यह पाकिस्तान की ओर से हुई अपील पर आधारित था।

ट्रंप की प्रतिक्रिया: निजी अपमान का बदला?

पीएम मोदी का यह स्पष्ट इनकार ट्रंप को बहुत नागवार गुज़रा। सूत्रों के अनुसार, 17 जून के बाद दोनों नेताओं के बीच कोई भी बातचीत नहीं हुई, जबकि इससे पहले वे लगातार संवाद में रहते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने पीएम मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद ट्रंप ने व्यापारिक मोर्चे पर भारत के खिलाफ कड़ा कदम उठाया और भारतीय सामानों पर 50% तक आयात शुल्क लागू कर दिया। यह फैसला वैश्विक व्यापार विशेषज्ञों और दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी चौंकाने वाला लगा, जिन्होंने इसे व्यक्तिगत अहं के टकराव का नतीजा बताया।

 

डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी

व्हाइट हाउस की योजना और मोदी की असहमति

ट्रंप की योजना थी कि पीएम मोदी व्हाइट हाउस की यात्रा करें और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ हाथ मिलाएं। इस क्षण को वे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अमेरिका की कूटनीतिक जीत के तौर पर दिखाना चाहते थे। लेकिन मोदी ने व्हाइट हाउस आने में असमर्थता जताई, जिससे ट्रंप की यह योजना विफल हो गई।

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क्वाड सम्मेलन में असमंजस

इस विवाद का असर अमेरिका-भारत रणनीतिक मंच ‘क्वाड’ पर भी पड़ा। ट्रंप ने पहले भारत आने का संकेत दिया था, लेकिन अब वे इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताएं भी अब ठप हो गई हैं।

टैरिफ लगाने का असली कारण

अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदने या व्यापार घाटे से जुड़ा नहीं है। बल्कि यह ट्रंप के निजी अपमान और उनकी नोबेल पुरस्कार की महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ फैसला है। ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन की वरिष्ठ फेलो तन्वी मदान का कहना है कि पीएम मोदी का व्यवहार भारतीय कूटनीति के अनुरूप रहा है। वह अमेरिका के दबाव में कोई निर्णय नहीं लेते, और यह उनके व्यक्तित्व व देश की स्वतंत्र नीति का हिस्सा है।

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दो नेताओं की सोच में फर्क

ट्रंप एक ऐसे नेता हैं जिन्हें प्रशंसा, उपहार और वैश्विक पहचान की तलाश है। वहीं पीएम मोदी घरेलू राजनीति में अपनी छवि को मजबूत बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस टकराव में जहां ट्रंप अपने लिए वैश्विक मंच पर प्रशंसा चाहते थे, वहीं मोदी ने राष्ट्रीय स्वाभिमान और स्वतंत्र विदेश नीति को प्राथमिकता दी। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) में भारत मामलों के विशेषज्ञ रिचर्ड एम. रोसो के अनुसार, यदि रूस से तेल खरीद ही समस्या होती, तो ट्रंप उन सभी देशों पर कार्रवाई करते, लेकिन उन्होंने खासतौर पर भारत को ही निशाना बनाया। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मामला व्यक्तिगत नाराजगी से अधिक जुड़ा है।

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  • 31 August 2025, 10:36 AM IST