Independence Day: कभी सफेद हुआ करता था दिल्ली का लाल किला, जानें कब और किसने बदलाया इसका रंग

भारत की शान माने जाने वाले दिल्ली के लाल किले का रंग हमेशा से लाल नहीं था। मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया यह ऐतिहासिक किला असल में सफेद रंग का था। फिर अंग्रेजों ने इसका रंग बदलकर लाल क्यों किया? जानिए इस बदलाव की पूरी कहानी।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 14 August 2025, 12:16 PM IST
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New Delhi: दिल्ली का लाल किला आज भारतीय गणतंत्र और स्वतंत्रता की पहचान बन चुका है। हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री यहीं से तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। देश-दुनिया से हजारों लोग इस ऐतिहासिक स्मारक को देखने के लिए आते हैं। इसकी भव्यता, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व ने इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा भी दिलवाया है। हालांकि, बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि लाल किला वास्तव में कभी लाल नहीं था, बल्कि इसका रंग सफेद था।

शाहजहां ने बनवाया था सफेद रंग का किला

मुगल सम्राट शाहजहां ने दिल्ली में राजधानी को आगरा से स्थानांतरित करते हुए 1638 में इस किले का निर्माण शुरू करवाया था। इसका निर्माण कार्य 1648 में पूरा हुआ। शुरू में यह किला सफेद चूना पत्थर और संगमरमर से बना हुआ था। इसकी दीवारें और अंदर की इमारतें भी सफेद रंग की थीं, जो इसे अत्यधिक भव्य और शाही लुक देती थीं। शाहजहां की वास्तुकला शैली में संगमरमर का विशेष स्थान रहा है, ताजमहल इसका प्रमुख उदाहरण है। इसी शैली में लाल किले का निर्माण भी सफेद पत्थरों से करवाया गया था।

अंग्रेजों ने बदलवा दिया लाल किले का रंग

जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर शासन करना शुरू किया, तो उन्होंने दिल्ली सहित देश के कई ऐतिहासिक स्थलों की संरचना में बदलाव किए। 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने लाल किले पर अपना नियंत्रण पूरी तरह से स्थापित कर लिया। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में जब किले की दीवारें कमजोर और जर्जर हो गईं, तो अंग्रेजों ने इसके संरक्षण की योजना बनाई। मरम्मत के दौरान उन्होंने किले की दीवारों को लाल रंग से रंगवा दिया।

लाल रंग क्यों चुना गया?

ब्रिटिश इंजीनियरों ने लाल बलुआ पत्थर का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि यह सामग्री उस समय संरचनात्मक रूप से मज़बूत मानी जाती थी। यह न केवल मजबूत थी, बल्कि मौसम और समय के प्रभाव को झेलने में भी सक्षम थी। साथ ही, लाल रंग का उपयोग करके किले की दीवारों को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखा जा सकता था। इसके बाद से यह किला अपने वर्तमान स्वरूप में "लाल किला" (Red Fort) के नाम से पहचाना जाने लगा।

लाल किले की बदलती पहचान

जहाँ एक ओर यह बदलाव तकनीकी दृष्टिकोण से किले की रक्षा के लिए था, वहीं दूसरी ओर इसने किले की मूल पहचान को बदल दिया। जो किला कभी सफेद रंग में चमकता था, वह अब लाल रंग के रूप में भारत की राष्ट्रीय पहचान बन चुका है। आज भी किले के अंदर कुछ हिस्सों में सफेद संगमरमर की झलक मिलती है, जो इसके मूल स्वरूप की गवाही देती है।

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Published : 
  • 14 August 2025, 12:16 PM IST