

स्वामी चैतन्यानंद उस समय विवादों में था, जब उनके आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करने की कथित योजना का खुलासा हुआ। आरोप है कि उन्होंने तीन खरब से अधिक मूल्य की संपत्ति पर नियंत्रण की कोशिश की।
दिल्ली पुलिस ने स्वामी चैतन्यानंद को आगरा से गिरफ्तार किया
New Delhi: दिल्ली में वसंत कुंज की शिक्षण संस्था में पढ़ाई कर रही छात्राओं ने स्वामी चैतन्यानंद (पार्थ सारथी) पर छेड़छाड़ और अश्लील हरकत का आरोप लगाया। इन शिकायतों के बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और चैतन्यानंद की तलाश शुरू की। गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि उनके पास दो फर्जी विजिटिंग कार्ड मिले हैं। एक में वे खुद को संयुक्त राष्ट्र का स्थायी राजदूत बताते हैं और दूसरे में BRICS प्रतिनिधि/भारतीय विशेष राजनयिक का दर्जा दिखाते हैं। ये कार्ड उन्होंने जनता को भ्रमित करने और अपनी प्रतिष्ठा चमकाने के लिए बनाए थे।
रूम नंबर 101 से गिरफ्तार हुआ अश्लील बाबा
डीसीपी दक्षिण-पश्चिम अमित गोयल के अनुसार एक टीम ने पिछले कई दिनों से बाबा की खोज की विभिन्न राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उसके ठिकानों पर नजर रखी। अंत में उन्हें आगरा के एक होटल में पकड़ा गया। पुलिस ने बताया कि होटल के रजिस्टर में चैतन्यानंद का नाम दर्ज था, कमरा नंबर 101 में वह ठहरा था। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने तीन फोन, एक iPad और फर्जी कार्ड बरामद किए। गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली लाया गया और आगे की जांच शुरू हो गई।
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छात्राओं की हिम्मत से हुआ खुलासा
पीजी डिप्लोमा पढ़ने वाली 17 छात्राओं ने चैतन्यानंद के खिलाफ छेड़छाड़ और अश्लील हरकत की शिकायत की। छात्राओं की हिम्मत और शिकायत पर संस्था प्रबंधन ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने अब आरोपों की गंभीरता देखते हुए रिमांड की मांग की है, जिससे वह और पूछताछ कर सके कि आरोपी ने किस तरह से इस गिरोह को संचालित किया, कितने और कितने लोगों को प्रभावित किया गया और उनके झूठे कागजात का स्रोत क्या था।
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फर्जी तरीके से कमाता था 60 लाख रुपये
स्वामी चैतन्यानंद उस समय विवादों में था, जब उनके आश्रम की संपत्ति पर कब्जा करने की कथित योजना का खुलासा हुआ। आरोप है कि उन्होंने तीन खरब से अधिक मूल्य की संपत्ति पर नियंत्रण की कोशिश की। पीठ (मठ प्रबंधन) ने दर्ज कराई FIR इसमें आरोप है कि चैतन्यानंद ने मठ की इमारतें कंपनियों को किराए पर दे रखी थीं, जिनसे प्रति माह करीब 60 लाख रुपये आय होती थी। यह राशि मठ प्रबंधन को नहीं दी जा रही थी।