अरावली पर Supreme Court का ब्रेक: खनन पर रोक, CJI सूर्यकांत की बेंच ने उठाए ये 5 बड़े सवाल

अरावली पर्वतमाला को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर के अपने आदेश पर रोक लगाते हुए खनन पर अस्थायी विराम लगाया है। अदालत का कहना है कि रिपोर्ट और टिप्पणियों को लेकर फैली गलत धारणियां दूर करना जरूरी है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 December 2025, 4:23 PM IST
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New Delhi: अरावली पर्वतमाला देश की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है और पर्यावरणीय संतुलन में इसकी भूमिका अहम मानी जाती है। हाल के दिनों में अरावली की नई परिभाषा, जिसमें 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली मानने की बात कही गई, पर विवाद तेज हुआ। आशंका जताई गई कि इससे संरक्षण क्षेत्र सिमट सकता है और खनन गतिविधियों का दायरा बढ़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

विवाद को गंभीर मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को जारी अपने ही आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही, स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी और तब तक खनन नहीं होगा। अदालत ने कहा कि किसी भी निष्कर्ष को लागू करने से पहले निष्पक्ष, स्वतंत्र और वैज्ञानिक आकलन अनिवार्य है।

CJI बोले- भ्रम दूर करना जरूरी

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और अदालत की कुछ टिप्पणियों को लेकर गलत अर्थ निकाले जा रहे हैं। इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए स्पष्टीकरण की आवश्यकता पड़ सकती है, ताकि अदालत की मंशा और निष्कर्षों को लेकर कोई भ्रम न रहे।

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हाई पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी का प्रस्ताव

कोर्ट ने संकेत दिया है कि एक हाई पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी गठित की जाए, जो मौजूदा विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का विश्लेषण करेगी। यह कमेटी संरचनात्मक मजबूती, पारिस्थितिक निरंतरता और नियामक खामियों जैसे पहलुओं पर ठोस सुझाव देगी।

वैकेशन बेंच में सुनवाई

यह मामला चीफ जस्टिस सूर्यकांत की वैकेशन बेंच के समक्ष चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे सूचीबद्ध किया था, जहां नई परिभाषा और उसके संभावित प्रभावों पर गहन विचार किया जा रहा है।

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अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के 5 सवाल 

  • क्या अरावली की परिभाषा को केवल 500 मीटर के दायरे तक सीमित करने से संरक्षण क्षेत्र सिमट जाता है और इससे संरचनात्मक विरोधाभास पैदा होता है?
  • क्या इस परिभाषा के कारण नॉन-अरावली क्षेत्रों में नियंत्रित खनन का दायरा बढ़ गया है?
  • अगर दो अरावली क्षेत्र 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचे हों और उनके बीच 700 मीटर का अंतर हो, तो क्या उस गैप में नियंत्रित खनन की अनुमति दी जा सकती है?
  • इस प्रक्रिया में पारिस्थितिक निरंतरता को कैसे सुरक्षित रखा जाएगा?
  • अगर नियमों में कोई बड़ा नियामक खालीपन सामने आता है, तो क्या अरावली की संरचनात्मक मजबूती के लिए व्यापक आकलन जरूरी होगा?

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 29 December 2025, 4:23 PM IST

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