

शास्त्रों और पुराणों में नवरात्रि के दौरान दान का विशेष महत्व बताया गया है। हर दिन अलग-अलग प्रकार का दान करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख है कि नवरात्र के दौरान दान करने से जीवन की दिशा बदल सकती है और संकट दूर हो जाते हैं।
क्यों खास है 9 दिनों का दान
New Delhi: नवरात्रि हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व न केवल उपवास और भक्ति का समय है, बल्कि दान और पुण्य कर्मों से जुड़े विशेष अवसर भी प्रदान करता है। शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख है कि नवरात्र के दौरान दान करने से जीवन की दिशा बदल सकती है और संकट दूर हो जाते हैं।
पुराणों में नवरात्रि को "दैवीय ऊर्जा का चरमकाल" बताया गया है। इस दौरान किया गया हर छोटा सा पुण्यकर्म भी फलदायी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, नवरात्र के समय देवी शक्ति विशेष रूप से सक्रिय रहती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। वहीं मार्कंडेय पुराण की दुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि श्रद्धा से की गई पूजा और दान से जीवन की विपत्तियां दूर होती हैं।
मां कूष्माण्डा
रामायण के कथाकांड में राजासुतीक्ष्ण की कथा मिलती है। उन्होंने नवरात्रि व्रत के दौरान निर्धनों को दान दिया और इसके परिणामस्वरूप उनका राज्य सुख-समृद्धि से भर गया।
महाभारत में सत्यवान-सावित्री की कहानी प्रसिद्ध है। सावित्री ने देवी की आराधना और व्रत के प्रभाव से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया। यह कथा दर्शाती है कि श्रद्धा और तप जीवन-मरण तक को बदल सकते हैं।
दंतकथाओं में भी उल्लेख मिलता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन और भोजन कराने से साधु का सारा संकट समाप्त हो गया और उसके जीवन में स्थायी सुख-शांति आ गई।
शास्त्रों में नवरात्रि के प्रत्येक दिन अलग-अलग प्रकार के दान का महत्व बताया गया है:
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