

केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में बताया कि अरविंद केजरीवाल को नियम के अनुसार 10 दिनों में सरकारी बंगला आवंटित कर दिया जाएगा। कोर्ट ने मंत्रालय की पारदर्शिता पर जोर दिया और आदेश सुरक्षित रख लिया है। बंगले की श्रेणी पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट में आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सरकारी बंगला आवंटन के मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बड़ा बयान सामने आया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि नियमों के मुताबिक अगला 10 दिन के अंदर अरविंद केजरीवाल को सरकारी आवास मुहैया करा दिया जाएगा।
AAP की ओर से कोर्ट में यह मांग रखी गई थी कि अरविंद केजरीवाल को टाइप-8 या कम से कम टाइप-7 कैटेगरी का बंगला दिया जाए। वकील ने यह तर्क दिया कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए केजरीवाल को उचित सुरक्षा और सुविधा की जरूरत है। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आम आदमी टाइप-8 बंगले के लिए नहीं लड़ा करते।"
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यह मसला केवल राजनेताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आम और गैर-राजनीतिक व्यक्तियों के अधिकारों की भी बात शामिल है। अदालत ने कहा कि सरकारी आवास आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना अनिवार्य है।
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
टाइप-8 कैटेगरी के सरकारी बंगले दिल्ली के सबसे आलीशान और उच्च श्रेणी के सरकारी आवास होते हैं। ये विशेष रूप से केंद्रीय मंत्रियों, वरिष्ठ नौकरशाहों और उच्च पदस्थ अधिकारियों को आवंटित किए जाते हैं। अधिकतर टाइप-8 बंगले कोर लुटियंस ज़ोन में स्थित होते हैं, जो दिल्ली का सबसे पॉश और वीआईपी इलाका माना जाता है।
इन बंगलों में बड़ी संख्या में कमरे, ऊंची छतों वाले हॉल, विशाल लॉन, पुराने स्थापत्य शैली और आधुनिक सुविधाओं का मिश्रण होता है। इन्हें अक्सर दिल्ली की राजनीतिक और प्रशासनिक विरासत से जोड़ कर देखा जाता है। इसीलिए AAP की ओर से केजरीवाल के लिए टाइप-8 बंगले की मांग करना स्वाभाविक बताया गया।
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AAP के वकील ने कोर्ट में यह स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री को केवल प्रतीकात्मक रूप से नहीं, बल्कि कार्यात्मक जरूरतों के तहत उपयुक्त सरकारी आवास मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि केजरीवाल को मिले मौजूदा आवास की मरम्मत और सुरक्षा के दृष्टिकोण से टाइप-8 बंगला उपयुक्त होगा। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तंज कसते हुए कहा, "आम आदमी टाइप-8 के लिए नहीं लड़े करते।" इस टिप्पणी पर कोर्ट ने भी संतुलित रुख अपनाते हुए सरकार को निर्देश दिया कि नियमों और औपचारिक प्रक्रिया के तहत जल्द निर्णय लिया जाए।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने फिलहाल मामले में कोई अंतिम आदेश नहीं दिया है, लेकिन सरकार के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने यह संकेत दिया है कि अगला निर्णय जल्द पारित किया जाएगा। यह मामला न केवल एक बंगले के आवंटन से जुड़ा है, बल्कि इसके जरिए राजनीतिक, प्रशासनिक और नैतिक मापदंडों की भी परीक्षा हो रही है।